राजनीति

मुलायम सिंह का दर्द

उ.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री (धरतीपुत्र, नेताजी) मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी की इन चुनावों में बड़ी दुर्दशा हुई है. भले ही वे स्वयं दोनों स्थानों (मैनपुरी और आजमगढ़) से जीत गए, लेकिन शेष में से बहु, भतीजों के आलावा कोई चुनावी वैतरणी पार नहीं कर पाया, यह उनके दुःख का सबसे बड़ा कारण है. ऐसी अपमानजनक पराजय तब हुई है जब प्रदेश में उनका अपना बेटा मुख्यमंत्री है. 

मेरे विचार से इस हालत के लिए ये बाप-बेटे स्वयं ही जिम्मेदार हैं. मायावती के भ्रष्ट शासन से तंग आकर और सामने कोई अन्य विकल्प न होने के कारण प्रदेश की जनता ने उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत देकर सत्ता में बैठाया था. पहली गलती तो उन्होंने तब की, जब स्वयं मुख्यमंत्री न बनकर अपने अनुभवहीन बेटे को सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठा दिया था. अगर उनको मुख्यमंत्री नहीं बनना था तो उनके अनुभवी भाइयों तथा पार्टी के अन्य नेताओं का हक़ बनता था. लेकिन परिवार के मोह में नेताजी गलती कर गए.

दूसरी गलती उन्होंने तब की जब पार्टी के छुटभैयों को रेवड़ी की तरह लाल बत्तियां बाँट दी गयीं. लाल बत्ती की ताकत से लैस होकर उनकी पार्टी के लोगों ने प्रदेश भर में गुंडा गिर्दी का नंगा नाच किया, जिससे जनता त्रस्त हो गयी. हालाँकि मुलायम सिंह ने स्वयं कई बार इसके खिलाफ चेतावनी दी, लेकिन पार्टी के लोगों ने उनकी बात को एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल दिया. इसका खामियाजा भुगतना ही था.

तीसरी गलती अखिलेश की सरकार ने यह की कि उनकी सारी योजनायें एक मजहब के लोगों को ही ध्यान में रखकर बनायीं गयीं. वे भूल गए कि उनकी पार्टी को सभी वर्गों के मतदाताओं ने वोट दिया था, केवल मुसलमानों ने नहीं. लेकिन उनकी नीतियों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ. ऐसे में उनको शेष वर्गों का रोष झेलना ही था.

आज मुलायम सिंह जी को दर्द हो रहा है कि वे संसद में किसके साथ बैठेंगे. बहू और भतीजों के साथ बैठे हुए क्या वे अच्छे लगेंगे? नेताजी, आपको यह बात तब सोचनी चाहिए थी जब आपको अपनी पार्टी में अपने परिवार के आलावा कोई नज़र नहीं आ रहा था. अब पछताने से क्या फायदा? जैसा बोया है, वैसा ही काटते रहिये, श्रीमान.

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com

2 thoughts on “मुलायम सिंह का दर्द

  • लीला तिवानी

    प्रिय विजय भाई जी, शायद तब उन्हें ‘धोबी के भों-भों——‘ वाली बात याद नहीं रही होगी. एक अच्छे समसामयिक, बेबाक लेख के लिए आभार.

  • लीला तिवानी

    प्रिय विजय भाई जी, शायद तब उन्हें ‘धोबी के भों-भों——‘ वाली बात याद नहीं रही. एक अच्छे समसामयिक, बेबाक लेख के लिए आभार.

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