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शनिदेव के नाम पर समाज का शोषण

आज शनि जयंती है, लोग शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए तेल आदि दान करते हैं. न जाने कितने लोग शनि देव के नाम पर पुजारियों पंडो के जाल में फंस कर अपना धन और समय दोनों बर्बाद कर देते हैं । जैसे जैसे विज्ञानं तरक्की कर रहा है देश में अन्धविश्वास और गहरा होता जा रहा है, आपको शहर के हर छोटे बड़े चौराहे पर टीन कटे हुए पात्र मिल जायेंगे जिनमे तॆल रख कर शनिदेव बना दिया जाता है। इन टीन के डिब्बो के शनि देव को हटाने की हिम्मत पुलिस में भी नहीं होती या फिर यह उनकी मिली भगत से होता है। शनि देव के नाम पर चन्दा उगाहना आम सी बात है, अधिकतर आदमी इन अन्धविश्वासो के चलते दो चार रूपये दे ही देता है, जिससे इनका धंधा और फैलता जाता है।

इन अन्धविश्वासो को मात्र आस्था कहकर मुक्त नहीं हुआ जा सकता । अप्रत्यक्ष या कथित आध्यात्मिक भय के नाम पर होने वाली अन्धविश्वास पूर्ण आस्था दैनिक जीवन में प्रत्यक्ष कर्मो या कर्तव्यो के प्रति क्यों नहीं होती?

अगर आप निष्ठा और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करे तो किसी शनि या शुक्र देव की चापलूसी करने की जरुरत नहीं रहेगी और न ही समाज के लिए घातक इन अन्धविश्वासो का शिकार होना पड़ेगा।

यह आप दिमाग से निकाल दीजिये कि यदि आप शनि को तेल दान करेंगे तो आपके जीवन में बिना योग्य परिश्रम किये सभी कुछ मिल जायेगा या तेल दान न करने से शनि आपके जीवन में कष्ट देगा।

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संजय कुमार (केशव)

नास्तिक .... क्या यह परिचय काफी नहीं है?

9 thoughts on “शनिदेव के नाम पर समाज का शोषण

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    केशव जी , अंधविश्वास इतना है कि हर इंसान के खून में मिक्स हो चुक्का है जिन को फैलाने वाले हैं वोह लोग जो इस से फैदा उठाते हैं . धर्म के सही अर्थ तो कोई जानना नहीं चाहता . धर्म तो एक बहुत ही सीधा साधा रास्ता है . झूठ मत बोलो , किसी का बुरा मत करो , चोरी न करो , इमानदार बनो , किसी का हक न मारो , चोरी ना करो ऐसे और भी असूल हैं जिन पर हर इंसान चले तो किसी धर्म अस्थान पर जाने की जरुरत ही नहीं लेकिन होता यह है धर्म के नाम पर पाखंड करो और चोरी चकारी भी करते रहो.

  • सचिन परदेशी

    प्रणाम केशवजी,अच्छा लेख ! लेकिन केवल नसीहत भरा है , वास्तव में इन सारे अन्धश्रद्धाओं के आधार को निराधार साबित करने के लिए आपकी एक विस्तृत लेखमाला की जरुरत है ! और वह भी युवा सुघोष में !! क्यूँ की महाराष्ट्र में हाल ही में जो अंधश्रद्धा विरोधी कानून बना उसका विरोध करने वाले हमारे हिन्दू ही रहे हैं !! जिन्होंने अंत में काफी तोड़ मरोड़ के बाद इसे निष्प्रभ रूप में ही पारित होने दिया !! और आर एस एस भी ऐसे कई अंधश्रद्धा पर आधारित धार्मिक उत्सवों को राष्ट्रीय उत्सवों की ही तरह मानता है !

    • केशव

      प्रणाम मास्टर साहब,
      बिलकुल सही कहा आपने की ऐसे अन्धविश्वासो को जड़ से दूर करने के लिए विस्तृत लेखो की जरुरत है।
      अन्धविश्वास समाज में इतना गहरा है की इसकी जड़े ढूँढना बहुत मुश्किल है।
      फिर भी कोशिश जारी है।
      सही कहा आपने की अन्ध्विश्बस रोधी कानून का विरोध हिन्दुओ ने ही किया है….क्या करे धंधा बंद होने का भय जो है

  • Vijay Kumar Singhal

    मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ. शनिचर के नाम पर लोग जनता को अन्धविश्वासी बनाकर लूटते हैं. इसका विरोध होना चाहिए. असली शनीचर वे ही हैं जो अन्धविश्वास फैलाते हैं.

    • सचिन परदेशी

      ऐसे शनिचर कौन हैं यह आप भी अच्छी तरह जानते हैं ! फिर बताइये इनके खिलाफ आज तक कोई आन्दोलन क्यूँ नहीं खड़ा हुवा ? क्या मोदी सरकार से हम इन शानिचारों के लिए किसी कड़े कानून की उम्मीद रख सकते हैं ?

      • आप बहुत लड़ते है सचिन जी, बासुरी बजाने वाले को शांत और सौम्य होना चाहिए 😀

      • विजय कुमार सिंघल

        परदेसी जी, शनीचरों से लड़ना समाज का काम है, यानी हमारा आपका. सरकार के पास और भी बहुत से काम हैं. अगर कोई लिखित शिकायत आती है, तो पुलिस कार्यवाही कर सकती है. साधारण लोग शिकायत नहीं करते. आप शिकायत कीजिये.

    • केशव

      धन्यवाद सिंघल साहब

  • ई हफ्ता वसूली का तरीका है .

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