हास्य व्यंग्य

ईमानदारों का ध्रुवीकरण कब होगा जी ?

Screenshot_4वैसे तो इस लेख के शीर्षक से समझने वाले सब समझ जायेंगे ! इसीलिए इसमे आगे कुछ लिखने की गुंजाइश है भी या नहीं इस सोच में मैं भी था !! लेकिन फिर याद आया की शीर्षक के अंत में लगे “जी” से खुद के साथ साथ  खुद के उठाये मुद्दों और “राज” की “नैतिक” क्रांति का भी अंत करवाने वाले केजरीवाल की आपको जरुर याद आ गई होगी !! और इसे आप फिर से केजरीवाल पर लिखा लेख समझ कर केजरीवाल के साथ उनके उठाए मुद्दों और  “राज” की “नैतिक” क्रांति से भी मुंह न मोड़ लें इसीलिए आगे लिख रहा हूँ !! लेकिन आप इसे क्यूँ पढेंगे ?? चलिए मोदीजी की निर्विवाद जीत के बाद भले ही आपके लिए अब किसी को पढ़ने समझने की जरुरत न लगे लेकिन आप इस भ्रम में भी न रहें की मोदी ,मोदी न हुवे भगवान हो गए इसीलिए आपको यह बताना जरुरी है और आपको भी यह पढ़ना जरुरी है की जो मोदी आपको आपके मोदी लगते थे वो चुनाव से पहले तक शत प्रतिशत ठीक वही मोदी थे लेकिन चुनाव के बाद वो अब क्या हैं यह पत्ता खुलना अभी बाकी हुवा तो भी कुछ कुछ तो वे नजर आ ही रहे हैं ! जैसे ये मोदी नवाज शरीफ के सामने मनमोहन लग रहे थे ! बैठे भी ठीक मनमोहन की तरह गाँव की गोरी वाले स्टाइल में थे  ! ( डिस्क्लेमर :- ये “गाँव की गोरी”  मेरे शब्द नहीं हैं साहब, इस उपाधि से कभी नवाज ने ही मनमोहन को नवाजा था !!! इसीलिए ये शब्द केवल और केवल मनमोहनजी के लिए हैं !!!! ) फर्क इतना था की वे नवाज का हाथ मनमोहन जीतनी जोर से हिला पाते उससे कुछ ज्यादा जोर से  हिला रहे थे ! नवाज उनकी और देखे न देखे , मुस्कुराए न मुस्कुराए मोदी कुछ ज्यादा ही देख और  मुस्कुरा रहे थे !! इसीलिए कल तक जिन्हें आप पाकिस्तान और चीन को लेकर जिसकी आज देश को जरुरत है कहने में नहीं हिचकिचाते थे वह आपके हिटलर दुनिया के सबसे बड़े शांतिदूत लग रहे थे ! इसीलिए पुन: कह रहा हूँ की जो मोदी आपको आपके मोदी लगते थे वो चुनाव से पहले तक शत प्रतिशत ठीक वही मोदी थे लेकिन चुनाव के बाद इस प्रतिशत से ‘शत’ कम होता जा रहा है !! अब इसे कोई कूटनीति कहेगा तो हमें स्वीकार है भाई !! क्यूँ की हमेशा की तरह हम शत प्रतिशत वही और वहीँ हैं ! जो चुनाव से पहले थे , जहाँ चुनाव से पहले थे !! इसीलिए किसी की भी वर्षों तक चलने वाली कूटनीति में हमारे विश्वास के प्रतिशत में से  एक ‘शत’ भी कभी कम नहीं होता !!  फिर भले ही विपक्ष में रहने वालों ने हमें  पाकिस्तान को एक झटके में सीधा कर देने के जोशीले नारों से वादों से बहुत बरगलाने की कई कई बार कोशिश की हो !  इसीलिए निश्चिंत रहिये ! हम आपकी ‘हटकर’ कूटनीति पर भी वर्षों तक विश्वास करेंगे !!!

अब आते हैं जी केजरीवाल पर ! आप कहोगे ये केजरीवाल की बात करते करते आप मोदी जी पर क्यूँ पलट गए ?? आप भी दुसरे केजरीवाल हो क्या ! ? !! जी , अगर ऐसा कुछ न लिखते तो शायद आप अब तक का यह लेख नहीं पढ़ रहे होते !! और जब पढ़ ही लिए हो तो जरा  साहब अब बताइये दूसरा केजरीवाल बनने की हिम्मत कौन करेगा ! और उसकी जरुरत भी है क्या ? नहीं ना !! ?  ठीक उसी तरह जिस तरह दूसरा मोदी बनने की हिम्मत कोई नहीं कर रहा ! और लगता नहीं की कोई करेगा !! क्यों ?? नहीं नहीं भाई हम कहाँ कह रहे हैं की मोदी की दादागिरी चल रही है ! लेकिन केजरीवाल की तरह अब दुसरे मोदी की जरुरत ही नहीं है तो किसी दुसरे का दूसरा मोदी बनने का सवाल ही कहाँ उठता है !!  जी अब , अब ठीक है न ? चलिए नाराज मत होइए क्यूँ की अब हम केजरीवाल को गाली देने वाले हैं ! जैसे की केजरीवाल को गाली देने को  आज हर कोई भारत वासी अपना हक़ समझने में गौरवान्वित महसूस कर रहा है ! लेकिन यह क्या ? भाई अब तो मोदी भी कुछ प्रतिशत केजरीवाल लग रहे हैं ! उनकी मंत्रियों को लाल बत्ती छोड़ने की , फिजूलखर्ची न करने की हिदायतें तो ठीक केजरीवाल के मंत्रियों की ऑटो से आने की ख़बरों की याद दिला रहे हैं !! न, न, न, न ! हम कहाँ कह रहे हैं की ऐसी हिदायतों का , आचरण का केजरीवाल कोई पेटंट करवा लिए हैं जो इसे केजरीवाल की बपौती मना जाय ! हम तो सिर्फ इतना कह रहे हैं की मोदी जी की ऐसी हिदायतों से ससुरी केजरीवाल की याद आ गई थी ! बस्स !!

अब देखिये याद तो उसी की आती है न जो नजर नहीं आ रहा हो ! अब जरा आप ही बताइये मोदीजी के प्रधान मंत्री बनने के बाद आपको कौन नजर नहीं आ रहा ? और जिसकी याद आ रही हो ? जिन्होंने जिस काम के लिए अपने जान की बाजी लगाकर और फिर बाद में जान को महिला वस्त्रों से बचाकर महिलाओं के वस्त्र को तक पौरुषत्व का प्रतिक बना दिया था ,उस काम के लिए मोदीजी के एस आय टी के गठन जैसे कदम उठाये जाने के बाद भी वे उनका धन्यवाद देने के लिए भी सामने नहीं आ रहे हैं तो याद तो आयेगी ही न !  चलो जब लोग  इतने एहसान फरामोश हो गए हैं तो हम भी क्यूँ “मेरे करन अर्जुन आयेंगे” ” …”मेरे करन …..की रट लगाएं ! ? हम वापस चलते हैं हमारे कजरी ओह; माफ़ करना लेख के शीर्षक पर जिसकी वजह से जिनकी याद आई और उस याद के चक्कर में हम भूल गए की इस लेख में हम कहना क्या चाहते हैं !

अब कहना क्या है जी ! हमने शीर्षक में पूछा है की इमानदारों का ध्रुवीकरण कब होगा जी  ? तो पहले तो आप कहोगे की ऐसा क्यूँ पूछ रहे हो ? इसका तो जवाब हमारे पास है की माना जा रहा है की इस लोकसभा चुनाव का नतीजा असल में किसी धर्म विशेष के धार्मिकों के ध्रुवीकरण का नतीजा है ! इसीलिए हम पूछे  हैं की ठीक इसी तरह देश के इमानदारों का ध्रुवीकरण कब होगा जी ? और अब की बार इमानदारों की सरकार ऐसा कब कहा जाएगा जी ?? लेकिन फिर आप जो पूछोगे उसका जवाब देने से मैं तो क्या भगवान भी डरेगा ! इसीलिए मत पूछो की क्या अब जिस धर्म विशेष के धार्मिकों का ध्रुवीकरण हुवा है उसे आप इमानदारों का ध्रुवीकरण नहीं कह सकते ??  जी इसके जवाब में मैं भी चुप ! और भगवान भी चुप !! क्या धार्मिक इमानदार नहीं होता ?? इसके भी जवाब में मैं चुप ! भगवान चुप !!! इसीलिए छोडिये भाईसाहब मुझे ये लेख लिखना ही नहीं ! ये तो विजय सिंघल साहब लेख पूरा करने के लिए पीछे पड़े थे ! वरना हम तो केवल शीर्षक लिख  के ही छोड़ दिए थे !! और इन्तजार में थे की इस बार के ध्रुवीकरण से बनी सरकार अगले चुनाव में यह नारा लगाए के ” अबकी बार इमानदारों की सरकार ! ” ताकि हमें किसी दुसरे केजरीवाल का  इंतज़ार ही न करना पड़े और न ही केजरीवाल स्टाइल का लेख का शीर्षक रखना पड़े !!!

सचिन परदेशी

संगीत शिक्षक के रूप में कार्यरत. संगीत रचनाओं के साथ में कविताएं एवं गीत लिखता हूं. बच्चों की छुपी प्रतिभा को पहचान कर उसे बाहर लाने में माहिर हूं.बच्चों की मासूमियत से जुड़ा हूं इसीलिए ... समाज के लोगों की विचारधारा की पार्श्वभूमि को जानकार उससे हमारे आनेवाली पीढ़ी के लिए वे क्या परोसने जा रहे हैं यही जानने की कोशिश में हूं.

2 thoughts on “ईमानदारों का ध्रुवीकरण कब होगा जी ?

  • विजय कुमार सिंघल

    धन्यवाद, आचार्य जी. आपने अपनी स्टाइल में ही लिखा है. यानि बोले तो बहुत कुछ हैं, पर कहा कुछ नहीं. खैर.
    जहां तक कालेधन पर SIT की बात है, बाबा ने इसका स्वागत किया है और वह अधिकांश समाचार पत्रों में छपा भी है. आपकी नज़र क्यों नहीं पड़ी, मालूम नहीं.
    आपकी बाकी बातें बस मजा लेने लायक हैं……

    • सचिन परदेशी

      टिपण्णी और प्रसंशा के लिए ह्रदय से धन्यवाद बड़े बंधू ! समाचार मरी नजरों से छुट गया या फिर बाबा को मोदीजी ने छोड़ दिया ससुरा समझ में ही नहीं आ रहा !! मेरी नजर में तो केवल वह खबर पड़ी थी जिसमे बाबा कह रहे थे की चाहता तो प्रधानमन्त्री बन सकता था ! अब बताइये जहाँ आडवाणी जी की दाल नहीं गली वंहा बाबा की गल सकती थी क्या ? मजा लेने का शुक्रिया !!

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