कविता

गीत-****पूरी कहो कहानी****

गीत-
****पूरी कहो कहानी****
कुछ कहता है चित्र तुम्हारा कुछ तुम कहो ज़ुबानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।
गम को अगर छिपाओगे तो
वो तुमको गम देगा।
जब तक नहीं कहोगे भीतर
ही भीतर काटेगा।
इसीलिए कह दो तुम हमसे करो न आनाकानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।
ख़ुशी छिपाओगे तो पूरी
ख़ुशी न मिल पायेगी।
साथ हमारे बांटोगे तो
दूनी हो जाएगी।
हमीं न कहते बड़े-बड़ों ने की है यही बयानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।
ख़ुशी मिले तो बनें न पागल
गम धीरज से काटें।
अपनों के सँग अपने सुख-दुःख
पूरे मन से बाँटें।
जीवन को जीने में होगी तभी हमें आसानी।
कुछ न छिपाकर रक्खो दिल में पूरी कहो कहानी।।
डॉ.कमलेश द्विवेदी,मो.09415474674

One thought on “गीत-****पूरी कहो कहानी****

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा गीत डाक्टर साहब. 🙂

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