हाइकु -1
बिखरे नीड़
भस्म हुये सपने
हृदय पीड़
घिरे बादल
अंतर्मन सिसके
हम घायल
कुश की शैया
व्यथित हुआ भीष्म
मृत्यु लालसा
ठिठके पाँव
विरानापन देख
औझल गाँव
बिखरे नीड़
भस्म हुये सपने
हृदय पीड़
घिरे बादल
अंतर्मन सिसके
हम घायल
कुश की शैया
व्यथित हुआ भीष्म
मृत्यु लालसा
ठिठके पाँव
विरानापन देख
औझल गाँव
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आपके हाइकु अच्छे हैं., प्रवीण जी. लेकिन अपना परिचय हिंदी में लगायें.