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नाकामियों की फेहरिस्त

उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार के नाकामियों की फेहरिस्त लम्बी होती जा रही है। जिसके परिणाम भले ही सरकार को आज न दिख रहा हो, लेकिन आगामी चुनाव परिणाम सरकार की आखों पर चश्मा जरूर लगाएगी। दिन-ब-दिन उत्तर प्रदेश में घट रही बलात्कार और हत्या जैसी घटनाओं से सरकार की नींद भले ही न खुल रही हो, लेकिन उत्तर प्रदेश के हर गली-मुहल्ले में रहने वाली जनता अन्दर से आतंकित और असुरक्षित महसूस कर रही है। इस सरकार की नाकामियों का खामियाजा आज गौतम बुद्ध नगर के दादरी क्षेत्र के कुशल और योग्य भाजपा नेता श्री विजय पंडित को अपने सीने पर गोली खाकर चुकानी पड़ी। व्यापारियों की हत्या और उनसे रंगदारी के नाम पर लूटपाट जैसी घटनाएँ दादरी और आसपास में आम बात हो गई है। हर रोज किसी न किसी को धमकी और धमकी के बाद उसकी हत्या और लूटपाट होती है। गोली बारी कर अपना रूतबा और क्षेत्र में वर्चस्व कायम करने के लिए अशिक्षित लोगो को पालना कुछ मंत्रियों का शौक हो गया है। दादरी का आलम यह है कि कोई भी शिक्षित और अच्छे व्यापारी वर्ग के लोग यहाँ रहना नही चाहते। कुछ पलायन भी कर चुके है तो कुछ मन बना चुके है।

अगर अखिलेश सरकार और उनके मंत्रियों से इस बावत सवाल पूछा जाए तो अनाप-शनाप और बचकाने अन्दाज में कुछ भी बोल कर बैठ जाने के सिवा कुछ भी नही करते। खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी इसमें पीछे नही है। विचलित होकर अफसरों के तबादले कर सिर्फ और सिर्फ वो अपनी अपरिपक्वता,  अनुभवहीनता और अदूरदर्शिता का परिचय देते हुए प्रदेश को झाँसे देने की कोशिश करते है।

कुकृत्य और हत्या जैसी घटनाओ के बाद जब लोग पथराव और हंगामा करते है तो पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी आरोपियों को जल्द पकड़ने और सजा दिलाने की बात कर मामले को शांत कर देते है। जबकि प्रशासन अगर चाहे तो ऐसी घटनाओ पर लगाम लगा सकती है। क्योंकि प्रशासन को मालूम होता है कि उसके क्षेत्र में कौन सा गिरोह सक्रिय है और कौन वारदात को अंजाम दे रहा है। सब कुछ मालूम होते हुए भी अगर पुलिस प्रशासन सिर पर हाथ रखे बैठा है तो इसकी वजह भी सरकार के वो मंत्री ही है जो घूस खिला प्रशासन को चुप रखती है और अपने गुंडे से वारदात करवाते है। दादरी के इस कुशल भाजपा नेता श्री विजय पंडित उन नेताओ में से थे जो दादरी में हो रही घटनाओ और वारदातों के खिलाफ काम कर रहे थे। लेकिन उन्हे ये मालूम नही था कि इसका खामियाजा उन्हें अपनी जान देकर भुगतना पड़ेगा। जबकि हत्या की धमकी उन्हें भी मिल चुकी थी, प्रशासन को भी मालूम था, लेकिन रिश्वतखोरी बीच में अड़ंगा डाल गया। समाज के लिए अच्छा करने और सोचने वाले की हमेशा हत्या होती रही है। अब ऐसे में कोई कैसे समाज के लिए अच्छा करे या अच्छा सोचे?

अखिलेश सरकार को इसके लिए अपनी सोच और नीयत बदलनी होगी। अफसरों को बदलने से कुछ नही होगा। अफसर मंत्रियों के इशारे पर चलते है। अखिलेश यादव को अपने मंत्री बदलने चाहिए जो उच्च पद पर होते हुए भी गिरी हुई राजनीति करते है। जनता अखिलेश जैसे युवा मुख्यमंत्री से युवा सोच की अपेक्षा कर रही थी। सिर्फ लैपटॉप बाँटकर जनता को रिझाने की कोशिश न करें, अपितु जनता की मूलभूत जरूरतों को पूरा करें।

One thought on “नाकामियों की फेहरिस्त

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख.

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