कविता

♫प्रेरणा गीत ♫- ☼ दूर है मंजिल !☼

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ll दूर है मंजिल  तारे जैसे चमकते हैं सारे 

इनको पाना ही मतलब है जीवन का प्यारे 

वो भी , थे इंसा, जिन्होंने चाँद पर 

कदम रखा इक दिन 

तू भी , है इंसा, तो क्यूँ न करेगा 

तू भी ये इक दिन  ll  दूर है मंजिल ……

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ll दुनिया में केवल मनुष्य है 

जो हिम्मत ना हारा है 

हमसे भी तो यही चाहता 

ये इतिहास हमारा है 

ये इतिहास हमारा है ll ,दूर है मंजिल ……….

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ll और न कुछ रहता है जहाँ में 

रह जाता बस नाम है 

तेरी अमिट् निशानी बनते 

तेरे सुन्दर काम है 

तेरे सुन्दर काम है ll , दूर है मंजिल ……

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                                                                    ♦-सचिन परदेशी ‘सचसाज’♦

सचिन परदेशी

संगीत शिक्षक के रूप में कार्यरत. संगीत रचनाओं के साथ में कविताएं एवं गीत लिखता हूं. बच्चों की छुपी प्रतिभा को पहचान कर उसे बाहर लाने में माहिर हूं.बच्चों की मासूमियत से जुड़ा हूं इसीलिए ... समाज के लोगों की विचारधारा की पार्श्वभूमि को जानकार उससे हमारे आनेवाली पीढ़ी के लिए वे क्या परोसने जा रहे हैं यही जानने की कोशिश में हूं.

One thought on “♫प्रेरणा गीत ♫- ☼ दूर है मंजिल !☼

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब आचार्य जी, अच्छा गीत और भाव !

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