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महाभारत में दुर्वासा ऋषि- सत्य से परे

आज तक समाचार पत्र लिखता है की –
“दुर्वासा अपने गुस्से के लिए जाने जाते हैं और जब वो द्वारका आते हैं तो श्री कृष्ण पूरी कोशिश करते हैं कि महर्षि दुर्वासा को थोड़ा सा भी गुस्सा नहीं आए.

इसी कोशिश में श्री कृष्ण अपनी पत्नी रुक्मिणी के साथ पूरे नग्न तक हो जाते हैं ”
http://m.aajtak.in/story.jsp?sid=767971

यह किस्सा तर्क से परे है लगता है की यह दुर्वासा नाम का चरित्र महाभारत में जबरजस्ती घुसाया गया है , क्यों की दुर्वासा की उपस्थिति रामायण में है । कहा जाता है की रामायण और महाभारत में हजारो सालो का अंतर है ।
क्या यह संभव है की कोई इन्सान पांच हजार सालो से अधिक तक जीवित रहे? हरगिज नहीं… यह तर्क और सच्चाई के विपरीत है ।

मुझे तो लगता है की यह दुर्वासा का चरित्र कृष्ण की महत्वता को कम करने के लिए गढ़ा गया है महाभारत में क्यूँ की आप देखेंगे की रामायण में भी राम जी और लक्ष्मण जी की मृत्यु का कारण भी दुर्वासा ऋषि ही था । कहानी इस प्रकार है की काल और राम जी कमरे में बात कर रहे होते हैं और लक्ष्मण कमरे की पहरेदारी का आदेश मिला हुआ था ।
लक्ष्मण को आज्ञा थी की वह किसी को अन्दर नहीं आने दें, यदि कोई अन्दर आ गया तो उसे मृत्यु दंड दिया जायेगा, यह राम जी का वचन था।
तभी दुर्वासा ऋषि उपस्थित होता है और राम जी से मिलने की इच्छा जाहिर करता है। बात यह थी की उसका एक व्रत पूरा हुआ था और वह इसके लिए राम जी से भोजन चाहता था।

लक्ष्मण के मना करने के बाद भी दुर्वासा लक्ष्मण को परिवार सहित भस्म हो जाने और राज्य के अनिष्ठ होने का श्राप देने की धमकी देता है ।
जिससे घबरा के लक्ष्मण राम जी के कमरे में चले जाते हैं जंहा काल और राम जी मंत्रणा कर रहे होते हैं।

वचन के अनुसार राम जी लक्ष्मण को मारने की आज्ञा दे देते हैं पर बाद में दया दिखाते हुए सिर्फ राज्य निकाला दे देते हैं। पर इससे अपमानित होके लक्ष्मण जी सरयू में जल समाधी ले लेते हैं और बाद में राम जी भी लक्ष्मण के वियोग में जल समाधी ले लेते हैं।

कहने का मतलब यह की दुर्वासा ऋषि राम जी के मृत्यु का कारण था परन्तु पांच हजार साल बाद कृष्ण जी और उनकी पत्नी के अपमान और मृत्यु का कारण भी वही दुर्वासा ऋषि हो यह सत्य नहीं जान पड़ता।

यदि फिर भी ऐसा है की दुर्वासा रामायण से लेके महाभारत तक के काल में उपस्थित हो तो इसका कारण सिर्फ एक हो सकता है। और वह संभावित कारण है की दुर्वासा ऋषि जोकि एक पुजारी वर्ग से था उसने अपनी जाती श्रेष्टता का प्रभुत्व दिखाने के लिए या जातीय घृणा से भगवान् जो की उससे नीची जात के थे उनको भी अपमानित किया और अंत में उनकी मृत्यु का कारण बना ।

संजय कुमार (केशव)

नास्तिक .... क्या यह परिचय काफी नहीं है?

2 thoughts on “महाभारत में दुर्वासा ऋषि- सत्य से परे

  • Kamal Kumar Singh

    sahi kaha kershav bhai… in aajtak waalo pe koi kese kyo nahi karta ? kaha mar gaye sab sangthan .

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख, केशव जी. मैं भी सोचता था कि यह दुर्वासा ऋषि क्या सात चिरंजीवी व्यक्तियों से अलग कोई आठवां था कि ऋषि विश्वामित्र के युग से लेकर कृष्ण के युग तक जीवित रहा जिनमें हजारों साल का अंतर बताया जाता है. मुझे लगता है कि किसी भी बुरा बोलने वाले साधू व्यक्ति को दुर्वासा कह दिया जाता होगा. पर आज तक ने किसी उपन्यास के आधार पर जो कहानियाँ प्रसारित की हैं वे शुद्ध बकवास हैं. क्या वे मुहम्मद के बारे में भी ऐसी ही कहानियाँ प्रसारित करने का साहस करेंगे?

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