उपन्यास : शान्तिदूत (पहली कड़ी)
वासुदेव कृष्ण की आँखों में नींद नहीं थी। इतिहास एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा था। विगत के कालखंड का आगत
Read Moreवासुदेव कृष्ण की आँखों में नींद नहीं थी। इतिहास एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा था। विगत के कालखंड का आगत
Read Moreरोज की तरह आज भी मैं दिलशाद गार्डन मेट्रो स्टेशन से कश्मीरी गेट तक के लिए मेट्रो में चढ़ा लगभग-लगभग
Read Moreअर्जुन उठो आगे बढ़ो रणभूमि तुम्हे पुकार रही धर्म पर संकट है छाया दुर्योधन ने पाँव पसारे, पितामह लाचार हुए
Read More२३ जून २०१४ सोमवार हंवर नदी तट पर (कनाडा) 1. आनन्द में अभिभूत हो, कुछ सृष्टि जग में हो गयी;आलोक्य
Read Moreवह भी एक बहती हुई हवा की तरह थी कानों के पास आकर फुसफुसाती हुई ठंडे झकोरे की तरह सिहराती
Read Moreमैंने हार नहीं मानी है ये रण जीतने की ठानी है क्षण क्षण ऐसे बीता है जैसे जीवन घट रीता
Read Moreदेख कर वफायें उसकी, उसकी वफाओं पे मर गए मांग कर दुआएं मरने कि,ताबीर से मुकर गए| बेबस फिरती थी
Read Moreबहुत से लोगों को गुर्दे में पथरी हो जाती है, जिससे बहुत असहनीय दर्द होता है. ऐलोपैथिक डाक्टरों के पास
Read Moreयदि ईश्वर का अस्तित्व वास्तव में होता तो लोगो में उसको लेके भिन्न भिन्न धारणाये क्यूँ हैं? अलग अलग मतों
Read Moreहर कदम पर मुझे दबाने का प्रयास किया जा रहा है फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है! सुरक्षित
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