कविता : सदियों से सदियों तक
सदियों पुराना प्रेम जब आज की गलियों में भटक रहा था मै सोचता रहा तुमसे इसका जिक्र फिर से करू
Read Moreसदियों पुराना प्रेम जब आज की गलियों में भटक रहा था मै सोचता रहा तुमसे इसका जिक्र फिर से करू
Read Moreसाँसे अटकी रही प्रेम हाफता रहा देर तलक खो गये रास्ते सभी जो रात में पहुँच ते थे बिस्तर तक
Read Moreआज समाचारों में क्या है ? खुनी खेल और फूटबॉल के गोल ! आप क्या देखना पसंद करेंगे ? इसके
Read Moreतुमसे बड़ा धूर्त नहीं कोई तुम रिश्तो के बीज बोने में अव्वल हो पर तुम्हारे भीतर पनप रहे अहं को
Read Moreधर्म और मत/मजहब में अंतर क्या हैं? यह समझने की आवश्यकता हैं। मज़हब अथवा मत-मतान्तर के अनेक अर्थ हैं। मत
Read Moreआज के आधुनिक युग में सोशल मीडिया एक क्रांति के रूप में उभर कर सामने आया है। फिर चाहे वह
Read Moreईराक में जो खूनी खेल चल रहा है उसका तो अल्लाह ही मालिक है, वो मालिक इसलिए कि सारा खेल
Read Moreएक नया नया फैशन चला हैं अपने आपको नास्तिक यानि की atheist कहलाने का जिसका अर्थ हैं की मैं ईश्वर की सत्ता, ईश्वर
Read Moreनारी क्यों ढाल बने नर की उसे तो भाल बनाना चाहिए उसको ढाल बनाये जो नर उसका नहीं इस्तकबाल होना
Read Moreझाँसी की रानी थे हम तुम नौकरानी बना दिए, फूलों पर रक्खोगे यह कह हमें प्यार का झांसा दिए|| मौन
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