हायकू : धरती – २
वृक्ष कटन हताहत धरती खल इंसान| सलिल लुप्त सुबकती धरती वीरुध शून्य| धरती पुत्र नीलाम की अस्मिता धन के लिए|
Read Moreवृक्ष कटन हताहत धरती खल इंसान| सलिल लुप्त सुबकती धरती वीरुध शून्य| धरती पुत्र नीलाम की अस्मिता धन के लिए|
Read Moreजेवर वृक्ष धरती हरी भरी गर्व करती| बंजर हुई हिय कर्म मानुष प्रसूता धरा| भू-गर्भ जल कराहती धरती अति
Read Moreआदमी अपने कर्मों के कारण कितनी जल्दी अर्श से फ़र्श पर आता है, इसका ताज़ातरीन उदाहरण हैं आप के नेता
Read Moreसन्नाटों में हैं चींखें ,लुट जाने का डर है बताओ तो मेरे दोस्तों ये कैसा शहर है चारों तरफ हाहाकार
Read Moreअजीब नज़ारा है. जिस इस्लाम को भाईचारे और समानता की मिसाल के रूप में पेश किया जाता है, आज उसी
Read Moreयादों में बस तुम हो ख्वाबो में बस तुम हो तुम सुनो प्रिये तुम बिन ये रात बेचारी हैं… जब
Read Moreनहीं समेटी नहीं जातीपीर अब तोकागजो मेंहर्फ़ों में किस्सों में विचारों में मात्र यहाँ या और कही भी लिख देने भर से
Read Moreजला आई हूँ मैंतुम्हारी रामायणजहाँ पूजा जा रहा थासीता को…बनाकर देवी-स्वरूपानहीं बनना था मुझे सीता नहीं देनी थी अग्नि-परीक्षा ना
Read Moreतुम गए तो जैसे प्राण गए, मेरे जीवन की आस गई तर्षित थी मैं जन्मों से,. तुम गए तो मेरी प्यास
Read Moreदिवाकर नाथ अपनी पत्नी और इकलौते बेटे राजेश के साथ एक शहर में रहता था। मुहल्ले में कोई भी
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