ब्लॉग/परिचर्चाराजनीति

मोदी सरकार की परीक्षा ले रही महंगाई और चीनी घुसपैठ

अभी मोदी सरकार ठीक से देश की समस्त परिस्थितियों का ठीक से आंकलन भी नहीं कर पा रही है कि उसके समक्ष कम से कम दो समस्याओं से उसका सामना हो गया है एक है मंहगाई और दूसरी है चीन की घुसपैठ। महंगाई और चीनी घुसपैठ को लेकर कांग्रेसी व अन्य विपक्षी दल तथा धैर्यहीन मीडिया मोदी के अच्छे दिन के नारे को लेकर ताने भी मारने लग गये हैं.

एक कांग्रेसी नेता ने यह भी बयान दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी का 56 इंच का सीना क्या पांच दशमलव छह का रह गया हैं। वहीं कुछ भाजपा व मोदी विरोधी टीवी चैनल तो प्रधानमंत्री मोदी की बेइज्जती ऐसी कर रहे हैं जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण व दुखद है। यह टी वी चैनल केवल अपनी टी आरपी बढ़ाने के लिए महंगाई का ऐसा रोना रोते हैं कि वह बाजारों में और बढ़ जाती है। यह आज के दौर की कड़वी सच्चाई है कि महंगाई को बढ़ाने में इलेक्टानिक मीडिया भी एक अहम भूमिका अदा कर रहाहै। अफवाहें फैलाने में टी. वी. चैनलों का बढ़ा हाथ रहता है। टीवी चैनलों के सहारे कांग्रेस व विपक्षी दल भी अपने आप को एक बार फिर जीवित करने का असफल प्रयास कर रहे हैं। इन्हें यह नहीं पता कि महंगाई के पीछे के क्या कारण होते है।

भारत में अधिकांश कृषि कार्य व दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी मानसून की प्रचुरता पर ही निर्भर है। वहीं तेल व गैस की कीमतों में परिवर्तन अंतर्राष्ट्रीय हालातों पर निर्भर करता है। हमारे देश में महंगाई का एक और कारण व्यापारिक संगठन और उनका राजनैतिक दलों से गठजोड़ भी कम जिम्मेदार नहीं है। कुछ व्यापारियों का वर्ग जानबूझकर जमाखोरी शुरू कर देता है। कई अन्य कारक भी हैं जिनसे महंगाई बढ़ती है। कांग्रेस व उसके सहयोगी दलों ने देश में 67 साल तक शासन किया आज महंगाई का जो दौर प्रारम्भ हुआ है उसके पीछे यही पूर्ववर्ती शासन जिम्मेदार है।

प्रधानमंत्री मोदी की सरकार को चीन से भी एक बार फिर चुनौती मिलना प्रारम्भ हो गयी है। चीन के साथ सारी समस्याओं की जड़ में नेहरू परिवार ही रहा है।नेंहरू परिवार व उसकी सरकार ने देश में इतने गहरे गढडे खोद दिये हैं कि उन्हें भरने के लिए कुछ समय तो अवश्य चाहिये। लेकिन मोदी के चुनाव प्रचार के दौरान उनके द्वारा कहे गये शब्द अब विरोधी उन्हीं पर लागू करके उन पर प्रहार कर रहे हैं। अभी विगत दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क देशों की यात्रा के पहले चरण में भूटान की यात्रा की थी। भूटान में मोदी का जोरदार व अभूतपूर्व स्वागत हुआ था।

उनकी भूटान यात्रा का यह असर हुआ था कि वहां की सरकार ने चीन को दूतावास खोलने की इजाजत देने से साफ इंकार कर दिया जिसके कारण चीन को इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढ़ाने के प्रयासों को गहरा आघात लगा है।चीनी साजिश हो रही थी कि वह अपना वहां पर दूतावास खोलकर भूटान को भी तिब्बत की तर्ज पर हथिया सके। लेकिन मोदी ने उसके प्रयासों को अपनी पहली यात्रा में ही करारा झटका दे दिया है। यही कारण है कि चीन ने उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की यात्रा के दौरान अपने नक्शे में अरूणांचल प्रदेश व जम्मू कश्मीर के एक हिस्से को अपना हिस्सा बता रहा है। भारत की विदेश सचिव सुजाता सिंह ने इस विषय पर तत्काल अपना कड़ा ऐतराज जताया है। चीनी घुसपैठ भी बदस्तूर जारी है।

उत्तराखंड के चमोली जिले के अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चीनी सेेना का हेलीकाप्टर बाड़ाहोती के पास भारत- तिब्बत सीमा पुलिस के रिमखिम चेकपोस्ट के ऊपर मंडराया। दो महीने के अंतराल में दो बार ऐसा हुआ है। हालांकि राज्य सरकार व चमोली जिला प्रशासन ने ऐसी किसी घटना के होने से इंकार किया है जबकि क्षेत्रीय जनता इस घटना की बात कर रही है । दूसरी ओर सामरिक विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड से सटी 330 किमी लंबी चीन सीमा पर ड्रैगन की घुसपैठ बढ़ती जा रही है। उस पर सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास की धीमी गति और सीमा पर चीन की पक्की सड़कों का निर्माण चिंता का कारण है।

यहां पर पलायन की गति भी तेज है। चीन उत्तराखंड के  कई हिस्सों से भारत आ सकता है। कम से कम 12 दर्रे  तो ऐसे हैं  जिनके पीछे वह पूरे साजो सामान के साथ अंदर तक आ सकता है। अभी विगत 27 जून को चीन ने लददाख की पैंगांग झील में घुसपैठ का प्रयास किया लेकिन भारतीय सैनिकों से आमना- समाना होने के बाद चीनी सैनिकों को वापस जाना पड़ गया। ज्ञातव्य है कि पैंगांग झील लददाख में ऊंचाई पर स्थित है तथा 135 किमी लम्बी है। दोनों देशों में बंटी इस झील की भारतीय जल सीमा में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पिछले दिनों कई बार घुसने की कोशिश की। 27 जून को चीनी सैनिकों की गश्ती मोटरबोट ने झील में निर्धारित वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार करने का बड़ा प्रयास किया लेकिन भारतीय जवानों की तत्परता ने उसे विफल कर दिया। 135 किमी लम्बी इस झील का 45 प्रतिशत हिस्सा भारत व 90 प्रतिशत हिस्सा चीन में जाता है। अब चीन की नजरें 45 प्रतिशत हिससे पर भी गड़ गयी हैं।

इस झील का ऐतिहासिक महत्व महत्व भी है। 1962 की लड़ाई में इस झील की महती भूमिका रही थी। इस प्रकार से देखा जाये तो एक ओर जहां चीनी मीडिया व सरकारी प्रवक्ता मोदी सरकार के साथ सबसे अच्छे संबंधों व व्यापारिक हितों की दुहाई दे रहा है वहीं पंचशील के सिद्धान्तों के एकदम विपरीत मुह में राम बगल में छुरी वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है। उसे लग रहा है कि भारत मेें अभी भी मजबूत इरादों वाली सरकार नहीं बनी है। इसीलिए वह अपनी पुरानी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।

अब समय आ रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी चीन को भी बता दें कि देश में अब एक ऐसी सरकार है जिसके नेता का सीना 56 इंच का है। मजबूत इरादोें का है। वहीं महंगाई भी एक बढ़ी समस्या बनकर उभर रही है। प्रधानमंत्री मोदी को अभी कम से कम पहले बजट के पूर्व ही में रेल किराया और माल भाड़े में इतनी अधिक वृद्धि नहीं करनी चाहिये थी। यदि वृद्धि अनिवार्य थी तो उन्हें कम से कम विधानसभा चुनावों तक इंतजार करना चाहिये था। यह मतदाता है।

One thought on “मोदी सरकार की परीक्षा ले रही महंगाई और चीनी घुसपैठ

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख. इसमें संदेह नहीं कि मंहगाई और चीनी घुसपैठ दो ऐसी समस्याएं हैं जो नई सरकार के सामने मुंह बाये खड़ी हैं. इनमें चीनी घुसपैठ रोकने के लिए सरकार बहुत सक्रिय है. मंहगाई पर लगाम लगाने के लिए भी बहुत कुछ करना बाकी है, जिसमें जमाखोरों पर कठोर कार्यवाही करना शामिल है. इस कार्य में राज्य सरकारों का पूर्ण सहयोग आवश्यक है.

Comments are closed.