कविता

प्रेम – तीन क्षणिकाएँ

ये प्रेम भी अजीब चीज है

पल भर में किसी को

आपके लिए

पूरा ब्रह्माण्ड सा ही बना देता है

और उसे ही

एक दुर्भाग्यपूर्ण पल में

नजरों से गिराकर

धूल में भी मिला देता है। १।

**

प्रेम का होना

और प्रेम का टूटना

दोनों ही स्थितियां विशेष हैं….

क्यूंकि

दोनों ही हालात में आपके पास

अपना

कुछ शेष नहीं रहता । २।

**

 

यूँ देखा जाये तो

प्रेम से इतर जीवन में

कुछ होता भी नहीं है

प्रेम ही बनाता है

प्रेम ही बिगाड़ता है

सच कहो तो

जीवन को प्रेम ही चलाता है । ३।

मंजु मिश्रा

lives in California, email: manjumishra@gmail.com poetry blog : http://manukavya.wordpress.com

3 thoughts on “प्रेम – तीन क्षणिकाएँ

  • Subhash Lakhera

    बहुत अच्छी कवितायें !

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी प्रेम कवितायें.

    • मंजु मिश्रा

      Thanks Vijay ji !

Comments are closed.