कविता

अभी अभी…

अभी अभी तो सुलगी है आग इश्क की
अभी हम दोनों का इसमें जलना बाकी है
अभी तो सफ़र ठीक से शुरु भी नहीं हुआ
अभी एक उम्र तक चलना बाकी है

अभी तो बस ज़ेहन में ख्याल है तुम्हारा
तेरे ख्यालों का हसरतों में बदलना बाक़ी है
अभी तो बस दिल को तेरे वजूद कि खबर हुई है
अभी दिल का तेरी खातिर मचलना बाकी है

अभी महब्बत के हिस्से का दिन दूर है
अभी तो तन्हाई कि रात का ढालना बाक़ी है
मेरे तेरे हिस्से का सूरज साथ देखेंगे
अभी चाहतों के दिन का निकलना बाक़ी है

रतजगे इश्क के तेरे भी हिस्से आयेंगे अधृत
अभी मेरे ख्वाबो का तेरी आँखों में पलना बाकी है
अभी अभी तो सुलगी है आग इश्क कि
अभी दोनों का इसमें जलना बाकी है
अभी अभी तो सफ़र शुरू किया है हम दोनों ने
अभी तो उम्र भर साथ चलना बाकी है

4 thoughts on “अभी अभी…

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कविता, आनंद कुमार जी.

    • आनंद कुमार

      बस यूँ ही प्रोत्साहन मिलता रहे आपलोगों का और मार्गदर्शन तो शायद और भी बेहतर लिख पाउँगा| शुक्रिया सर

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    आनंद जी , आप की कविता मज़े की है . जवानी याद आ गई .

    • आनंद कुमार

      बेहद खुसी हुई जानकार कि लोग मेरी नज्मों से खुद को जोड़ पा रहे है शुक्रिया

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