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पश्चिम बंगाल के बदलते राजनैतिक हालात

लोकसभा चुनावों में भले ही मोदी लहर के बीच पं. बंगाल में भारतीय जनता पार्टी को दो सीटेें हासिल हुई हों लेकिन उसके बाद भी वहां की राजनीति की हवा का रूख अब बदल रहा है। बंगाल में भाजपा की लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ रहा है। प्राप्त समाचारों के अनुसार अब तक बंगाल में लगभग छह लाख से भी अधिक लोग भाजपा में शामिल हो चुके हैं।औसतन प्रतिदिन विभिन्न पार्टियों के लगभग 7500 कार्यकार्त व आम आदमी भाजपा में शामिल हो रहे हैं। यही कारण है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अब भाजपा की बढ़ती ताकत व मोदी की लोकप्रियता से खतरे की आहट सुनाई देने लग गयी है। अभी कुछ दिनों पूर्व बंगाल में आयोजित एक रैली में ममता बनर्जी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में भाजपा को साम्प्रदायिक करार देते हुए भाजपा व मोदी के खिलाफ खूब जमकर लहर उगला व साथ ही महंगाई व राज्य के विकास के सम्बंधित मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने की भी बात कही है।

उधर राज्य के विकास के सम्बंध में व बंगाल पर 28 हजार करोड़ रूपये का कर्ज माफ कराने के उद्देश्य से ममता बनर्जी प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने के लिए अगस्त के प्रथम सप्ताह में दिल्ली आ रही हैं। मोदी- ममता की इस मुलाकात को राजनैतिक हलकों में महत्व दिया जा रहा है तथा मीडिया में आ रही खबरों में यह संदेश भी आ रहा है कि इस मुलाकात के बाद हो सकता है कि मोदी ममता के बीच एक नये युग का सूत्रपात हो या फिर ममता दीदी विकास व कर्जमाफी के नाम पर मोदी सरकार के खिलाफ अपने तेवरों में काफी नरमी लादें। राजनीति में अनंत संभावनायें होती हैं।

निश्चय ही आज बंगाल में यदि ममता दीदीको कोई चुनौती देने के लिए पैदा हुआ है तो वह मोदीमय भाजपा ही है। आज भाजपा की लोकप्रियता बंगाल में लगातार बढ़ रही है तथा राजनैतिक विश्लेषकों का यही मत है कि यदि लोगों का भाजपा के प्रति रूझान इसी प्रकार बना रहा तो 2016 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा ही मुख्य चुनौती में आ जायेगी । अब भाजपा ने उप्र व बिहार में भाजपा को अप्रत्याशित सफलता दिलाने वाले अमित शाह को अपना राष्टीय अध्यक्ष बना दिया है जिसके बाद तो भाजपा कार्यकर्ता असीम उत्साह में आ गया है।

बंगाल की प्रदेश इकाई बहुत ही शीघ्र कोलकाता में एक विशाल रैली करने वाली है जिसमें पार्टी के नवनियुक्त अध्यक्ष अमित शाह को भी बुलाने का प्रयास किया जा रहा है। इस रैली को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में असीम उत्साह है तथा वह पूरी ताकत के साथ ममता को उन्हीं के गढ़ में घेरने के लिए पूरी जोर लगा रहे हैं। अब तो भाजपा सरकार ने अपनी ही पार्टी के एक वरिष्ठ नेता केशरीनाथ त्रिपाठी को बंगाल का राज्यपाल मनोनीत कर दिया है। इन्हीं सब चीजों से घबराकर अब ममता बनर्जी ने अपनी रैलियों में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ सुनियोजित बयानबाजी करनी प्रारम्भ कर दी है। एक बार फिर गुजरात दंगों का राग अलाप प्रारम्भ कर दिया है वे कह रही हैं कि भाजपा बंगाल मेें गुजरात जैसे दंगे कराने की साजिश रच रही हैं। भाजपा में फिलहाल फारवर्ड ब्लाक वामपंथी पार्टियों के कार्यकर्ता अधिक शामिल हो रहे हैं। उन्होंने इन दलों के लोगों से अपील की है कि वे भाजपा में न शामिल होकर उनकी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हों। सोशल मीडिय में भी बंगाल की जनता अपनी इच्छाओं का प्रस्फुटिकरण करने में लगी है। अधिकतर लोगों का मानना है कि मोदी जी के नेतृत्व में एक नयी उम्मीदें जगी हैं तथा अब उन्हीं के नेतृत्व में देश का ही नहीं बंगाल का भी विकास होगा।

लोकसभा चुनावों के बाद राज्य में भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं पर हमले हो रहे हैं। भाजपा की जांच टीमें भी गठित की गई जिनकी अध्यक्षता बलवीर पुंज ने की। इन जांच टीमों के कारण भी भाजपा व ममता के बीच तनाव बढ़ा है। दूसरी ओर यह वहीं ममता हैं जो चुनावों  के दौरान अपने आपको प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर रही थीं या फिर सोच रही थीं कि वे कम से कम राजग हों या फिर यूपीए किसी न किसी के साथ अपना उल्लू अवश्य सीधा करती रहेंगी लेकिन देश की समझदार जनता ने इस बार उनके किये पर पानी फेर दिया है। यही कारण है कि वे अब केवल अपनी भड़ास ही निकाल रही हैं।

दूसरी ओर राज्य में उनकी सरकार का प्रदर्शन भी अच्छा नहीं चल रहा है। अस्पतालों की हालत दयनीय है। राशन की दुकानों का भ्रष्टाचार वैसे का वैसा ही है। महिलाओं की अस्मत के साथ वहां भी खिलवाड़ हो रहा है कुछ घटनाओं में तो स्वयं मुख्यमंत्री का रवैया भी असंवेदनशील रहा है। बांग्लादेशी घुसपैठ व तस्करी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। चिटफंड घोटाले की आंच तृणमूल कांग्रेस पर पड़ रही है। बिजली संकट है। बंगाल कईसमस्याओं से जूझ रहा है। वहां पर वामपंथी शासन के गडढे इतने अधिक गहरे हो गये हैं कि इससे ममता को परेशानी पैदा हो गयी है। अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए वह भाजपा के खिलाफ जहर उगलने लग गयी हैें।

यह वहीं ममता हैं जिन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि वे प्रधानमंत्री बनीं तो वे मोदी को रस्से से बांधकर जेल में डाल दूंगी। बंगाल के भाजपा कार्यकर्ताओं को उनके सभी बयान याद हैं तथा वे और अधिक उत्साहित होकर अपना बदला लेने के लिए तत्पर हैं। इसलिए कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि बंगाल के अगले विधानसभा चुनावों में भाजपा ममता को सीधी चुनौती पेश करे।

8 thoughts on “पश्चिम बंगाल के बदलते राजनैतिक हालात

    • मृत्युंजय दीक्षित

      आभार

  • जगदीश सोनकर

    प. बंगाल में भी भाजपा की राज्य सरकर बन सकती है. मौका अच्छा है.

    • मृत्युंजय दीक्षित

      धन्यवाद

  • नीलेश गुप्ता

    आपने सही लिख है. बंगाल में ममता का जादू ख़त्म हो गया है. अब मोदी जी का जादू है.

    • मृत्युंजय दीक्षित

      धन्यवाद.

  • विजय कुमार सिंघल

    आपने प.बंगाल की स्थिति का सही विश्लेषण किया है. अब सभी लोग राष्ट्रीय विचारों का महत्त्व समझने लगे हैं. जो कार्य ६०-६५ वर्ष पहले ही हो जाना चाहिए था, वह अब हो रहा है. ममता बनर्जी का किला बस ढहने ही वाला है.

    • मृत्युंजय दीक्षित

      धन्यवाद सिनघल साहब.

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