लघुकथा

खाली पेट…

पिता ईट भट्टे पर मजदूरी करता हुआ दुर्घटना में मारा गया। माँ दुसरे आदमी के साथ भाग गयी। रह गये बरुआ और चनिया अनाथ। बड़ी बहन ने छोटे भाई के भरण पोषण की जिम्मेवारी अपने नन्हे कन्धो पर सहर्ष ले ली। पीठ पीछे भाई को बांध कर उसके नन्हे हाथ लोगो के सामने फैलने लगे। कोई दे देता कोई मना कर देता। जैसे – तैसे कर अपना और भाई का पेट भरती। कभी-कभी तो भाई का पेट ही भर पाती खुद खाली पेट करवटे बदलती रहती।

आज अच्छी खबर मिली है। गाँव के मुखिया की माँ की मौत हुई है। पन्द्रह दिन तो भर पेट खाना मिलेगा वो भी स्वादिष्ट। पहुंच गयी भाई को लेकर सुबह ही ।

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

4 thoughts on “खाली पेट…

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी लघु कथा. इसमें वास्तविकता की झलक है.

    • शान्ति पुरोहित

      धन्यवाद, भाई.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    शांती बहन , आप हमेशा जिंदगी की दुखांत घटनाओं के बारे में लिखती हैं जो हमारे इर्द गिर्द हो रहा होता है . सच मानों परदेस में रह कर भी ऐसे लगता है जैसे हम भारत में हों और हमारी आँखों के सामने एक छोटी सी गुडीया अपने ननें से भाई को पीठ पीछे लिए हाथ फैलाए लोगों से भीख मांग रही है . यह मजबूरी कब ख़तम होगी ?

    • शान्ति पुरोहित

      आभार, भाई साहब.

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