लघुकथा

भारतीय कानून

अचानक सुरिंदर को जालंधर के बस स्टैंड के नज़दीक अपना दोस्त तरलोक मिल गिया . वोह बहुत गुस्से में था . आते ही बोला , “मुझे अपने डैडी का पिस्तौल  दे दे, मैं नीता का खून कर दूंगा .”

“क्यों क्या हुआ ?”, सुरिंदर ने पुछा .

गाली निकाल कर तरलोक बोला , “मेरे साथ शादी के वादे करती रही और आज मैंने उसे मोहन के साथ बाहों में बाहें डाले हुए रेणक बाज़ार में घूमते हुए देखा है .”

सुरिंदर बोला , “सारी उम्र के लिए  जेल तो जाएगा ही , साथ ही मेरे डैडी को भी मुसीबत में डालेगा . ऐसा क्यों नहीं करता? किसी ग्रोसरी की दूकान से एक तेज़ाब की बोतल खरीद कर नीता के मुंह पर फैंक दे, तुझे जिंदगी भर याद रखेगी .”

“क्या दूकान वाला तेज़ाब मुझे वेच देगा ?”, तरलोक ने पुछा .

“अरे भौंदू ! यह इंगलैंड या अमरीका नहीं कि एक दस रूपए की बोतल के लिए डाक्टर से पर्ची लेकर खरीदनी पड़े . यह इंडिया है इंडिया ! यहाँ तेज़ाब तो किया , ज़हर भी हर दूकान से मिल जाता है .”

सुन कर तरलोक के चेहरे पर वहशियाना चमक आ गई .

4 thoughts on “भारतीय कानून

  • मनजीत कौर

    जो लोग तेज़ाब फेंकने का पाप करते है कानून को चाहिए ऐसे पापीओ,दरिंदो को कड़ी से कड़ी सजा दे ताकि ऐसा जुलम फिर किसी लड़की पर न हो पाए |

  • शान्ति पुरोहित

    कहानी में बहुत सच्चाई है. भारत में ऐसा बहुत होता है.

  • विजय कुमार सिंघल

    भाई साहब, आपकी लघुकथा अच्छी है, वास्तविकता को भी बयान करती है. लेकिन यह अपराध करने की प्रेरणा देती है. ऐसी कथाओं से बचना चाहिए.

    • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

      विजय भाई , सत बचन . लेकिन मेरे लिखने का मकसद और था . इतनी तेज़ाब की घटनाएं हो चुक्की हैं लेकिन कानून की ओर से इस पर कुछ नहीं किया गिया . जैसे पिस्तौल और शुरी से किसी को नुक्सान पौह्न्चाया जा सकता है इसी तरह तेज़ाब से होता है . यहाँ आप ब्लड प्रैशर की दवाई भी खरीद नहीं सकते . अगर कोई कैमिस्ट बेचता है तो उस पर केस हो सकता है . इतनी खतरनाक है यह तेज़ाब लेकिन शरेआम विक रही है , कोई अगर कानून है भी तो कोई परवाह नहीं करता . किया तेज़ाब के बगैर आप का काम नहीं चल सकता? यहाँ हम ने तेज़ाब कभी देखी ही नहीं किओंकि कोई वेच सकता ही नहीं . हम यहाँ बैठे भारत में हो रही ऐसी घटनाओं को देख कर काँप उठते हैं . कहानी के आखिर में मैंने यही बताने की कोशिश की थी कि भारत में तेज़ाब तो किया ज़हर भी किसी दूकान से मिल जाता है . भार्तीय कानून इस के वारे में कुछ नहीं करता . जब किसी लडकी पर तेज़ाब फैंका जाता है तो मीडिया में दो चार दिन शोर मचता है , इस के बाद ऐसे होता है जैसे कुछ हुआ ही नहीं . लेकिन जिस लड़की पर ज़ुल्म होता है वोह सारी उम्र के लिए जिंदा लाश बन जाती है , इसी लिए मैंने यह लिखा था .

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