राजनीति

विद्रोह और आतंकवाद में क्या अन्तर है?

मेरे एक मित्र ने एक सवाल पूछा है कि विद्रोह और आतंकवाद में क्या अन्तर है? इस सवाल का सही-सही उत्तर देने के लिए हमें पहले यह जानना चाहिए कि उनमें क्या समानता है। विद्रोह और आतंकवाद दोनों ही वर्तमान व्यवस्था के विरुद्ध होने वाली गतिविधियाँ हैं। दोनों में काफी मात्रा में हिंसा भी होती है या हो सकती है। व्यवस्था दोनों को ही कुचलने का कार्य करती है और दोनों की ही आलोचना की जाती है।

इन समानताओं के अलावा उनमें अन्तर यह है कि विद्रोह जहां व्यवस्था से और उससे जुड़े लोगों से सीधे एक लड़ाई होती है, वहीं आतंकवाद व्यवस्था के अलावा आम जनता को भी पीड़ित करता है। विद्रोह के पीछे प्रायः सैद्धांतिक कारण होते हैं, जबकि आतंकवाद के पीछे केवल दुराग्रह और स्वार्थ होता हे। इसलिए विद्रोह को प्रायः आम जनता का समर्थन भी मिल जाता है, जबकि आतंकवाद का समर्थन आतंकवादियों के अलावा कोई नहीं करता।

विद्रोह और आतंकवाद में मुख्य अन्तर उद्देश्य का होता है। विद्रोह का उद्देश्य प्रायः व्यवस्था को बदलना और समाज को उस परिवर्तन का लाभ देना होता है, जबकि आतंकवाद का उद्देश्य व्यवस्था को बदलकर केवल अपनी सत्ता कायम करना होता है। कई बार मार्ग भटक जाने के कारण विद्रोह भी आतंकवाद बन जाता है। विद्रोह और आतंकवाद में इस झीने अन्तर के कारण बहुत से लोग विद्रोहियों को भी आतंकवादी बता देते हैं और आतंकवादियों को विद्रोही।

उदाहरण के लिए, महाराणा प्रताप और शिवाजी ने मुगल सत्ता के प्रति विद्रोह किया था, क्योंकि वह एक विदेशी और विधर्मी शासन था। इसी तरह चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह और उनके साथियों ने अंग्रेजों की सत्ता के विरुद्ध विद्रोह किया था। इन सभी ने कभी भी आम जनता को पीड़ित नहीं किया, बल्कि केवल सत्ताधारियों और उनके पिट्ठुओं को सबक सिखाया। फिर भी कुछ सेकूलर खोपड़ी के धूर्त लोग इनको विद्रोही के बजाय आतंकवादी बताते हैं।
विद्रोह सफल भी हो सकता है और असफल भी। सफल विद्रोह को क्रांति कहा जाता है और विद्रोहियों को क्रांतिकारी। विद्रोह एक सम्मानजनक कार्य होता है, जबकि आतंकवाद एक निंदनीय और दंडनीय कार्य है। विद्रोही प्रायः मानवीय और दयालु भी होते हैं, जबकि आतंकवादी बहुत क्रूर होते हैं। इसीलिए बहुत से लोग गर्व से स्वयं को विद्रोही, विप्लवी, और क्रांतिकारी कहते हैं, लेकिन कोई स्वयं को आतंकवादी नहीं कहता।

वर्तमान में इस्लामी जेहादी दुनियाभर में जो कर रहे हैं, वह शुद्ध आतंकवाद है। इसके अलावा कुछ नहीं। इनका उद्देश्य सभी प्रकार की व्यवस्थाओं और धर्मों को खत्म करके केवल इस्लामी खलीफाई व्यवस्था कायम करना है। इसके लिए उन्हें निर्दोषों की निर्दयता से सामूहिक हत्यायें करने में भी कोई संकोच नहीं है। यही आतंकवाद है।

नक्सलवादी मूलतः विद्रोही होते हैं। वे तथाकथित पूंजीवादी व्यवस्था को बदलकर समाजवादी या साम्यवादी व्यवस्था कायम करना चाहते हैं, जैसा कि रूस, चीन आदि देशों में हुआ। लेकिन वर्तमान में हताशा के कारण वे सब अपने मार्ग से भटककर आतंकवादी बन गये हैं और नक्सलवाद के नाम पर निर्दोषों का दमन भी करते हैं।

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com

4 thoughts on “विद्रोह और आतंकवाद में क्या अन्तर है?

  • देवकी नंदन 'शांत'

    बहुत अच्छा लेख. आपने दोनों का अंतर साफ़ कर दिया है.

    • विजय कुमार सिंघल

      आभार, अग्रज.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छा लिखा है विजय भाई ! आतंकवाद तो साफ़ है , जो मुम्बई ताज होटल में निर्दोष लोगों की हत्या करना , जगह जगह बम्ब रखके बेक़सूर लोगों का खून करना आतंकवाद ही तो है ! क्रान्तिकारियो के साथ लोगों की भी कुछ कुछ हमदर्दी होने लगती है लेकिन अतन्क्वादीओन के साथ लोगो की नफरत बड़ने लगती है . पकिस्तान में देखा जा सकता है , अब वहां के लोग भी अतन्क्वादीओन को नफरत करने लगे हैं . अब सारा संसार इन के खिलाफ बोल रहा है . एक दिन आएगा जब यह खुद बखुद नष्ट हो जाएंगे .

    • विजय कुमार सिंघल

      धन्यवाद, भाई साहब. आपने बिलकुल सही समझा है. आतंकवाद का खात्मा शीघ्र ही होगा.

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