लघुकथा

नई राह

जब भी रीना ने अपनी माली हालत सुधारने के लिए घर से बाहर जाकर कुछ करना चाहा, सास हीरा देवी उसका रास्ता रोक लेती । अब रीना करे तो क्या करे! दो बच्चो और सास को खिलाना था । पति दुर्घटना में असमय ही काल कवलित हो गये। आखिर रीना ने रास्ता निकाल ही लिया। रीना ने महिला उद्योग संस्था से ऋण ले कर घर में ही काम की शुरुआत की। उसने तैयार वस्त्रो का उद्योग चालु किया। सास को बहुत पसंद आया और आता भी क्यूँ नही बहू को कहीं बाहर भी नही जाना पड़ता था। धीरे धीरे वस्त्र बाहर भी जाने लगे थे। अब रीना को पैसे की कोई कमी नही थी। उसकी सूझ बूझ से सब ठीक हुआ ।

शांति पुरोहित

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

2 thoughts on “नई राह

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अच्छी कहानी , लेकिन कुछ बूड़े लोग भी ज़माने के साथ बदलते नहीं . भूके मरना मंजूर है लेकिन बहु को बाहिर काम करने को रोकना जरूर है . अगर बहु अच्छी है , घर की हालत सुधारने की सोच रही है तो बहु का आदर करना बनता है .

  • विजय कुमार सिंघल

    प्रेरक लघुकथा. हर समस्या का समाधान होता है.

Comments are closed.