लघुकथा

खड़ी फसल

शिक्षक दिवस की शुभ कामनाएं
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गुरु के पद कमलो में देहूं सिर नवाय
ज्ञान दे उपकार किया ईश्वर से मिलाय
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खड़ी फसल
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आज गाँव की विद्यालय में अर्धवार्षिक परीक्षा का प्रथम दिन था | सभी अध्यापक अपनी -अपनी कक्षाओ में पहुंच गये परीक्षा आरम्भ हो गयी थी | तभी कक्षा आठ का होनहार छात्र गोपाल हांफता हुआ आया | लेट आने के लिए माफ़ी मांगता हुआ अध्यापक जी से बोला ” मेरे पिता स्कूल आ रहे है | वो मुझे खेत पर काम करने के लिए ले जाना चाहते है|” इतना कह कर वो चुप हो गया | अध्यापक जी ने कहा ” तुम बिलकुल भी मत चिंता करो | तुम इस स्कूल के होनहार और आज्ञाकारी छात्र हो | तुम कक्षा में जाओ और अपनी परीक्षा दो परीक्षा शुरू हो चुकी है|’
      गोपाल के पिता ने देखा अभी तक गोपाल नही आया वो मुझे धता बताकर शायद स्कूल चला गया है | तो वे स्वयं ही स्कूल पहुंच गये | वहां पर जाकर अपने पुत्र की कक्षा के सामने जाकर खड़े हो गये | वहां पर वर्मा जी पहले से ही खड़े उनका इंतजार कर रहे थे | वर्मा जी से बोला ” मास्टर साहब मेरे खेत पर इन दिनों बहुत ज्यादा काम है | खड़ी फसल को बचाना है | गोपाल के अलावा मेरा मदद करने वाला और कोई नही है घर में |  नही तो मेरी खड़ी फसल बर्बाद हो जाएगी |आप उसे कुछ दिनों के लिए स्कूल से छुट्टी दे दो |
वर्मा जी बोले ” आप मानते हो ना कि समय पर आपके खेत पर काम नही हुआ तो खड़ी फसल खराब हो जाएगी | तो जरा ये भी सोचे कि आपके पुत्र का भावी जीवन भी नष्ट हो जायेगा यदि आप थोड़े से काम के लिए उसको पढने से रोकते हो तो | समय रहते यदि वो उचित शिक्षा नही पाता है तो उसका भावी जीवन खराब हो सकता है| , ”तो आप ही बताओ क्या करूँ गोपाल का पिता बोला, इस काम के लिए तो आप थोड़ी सी रकम खर्च कर के मजदूर से करवा सकते है |, वर्मा जी आगे बोले ” आप लोग शिक्षा का महत्व नही जानते | अत; मेरा ये कर्तव्य बनता है कि आपको शिक्षा का महत्व बताने का प्रयास करूँ | जिससे गोपाल के साथ -साथ गाँव के अन्य युवको को, देश की भावी पीढ़ी को आगे बढने का अवसर मिल सके | और अपनी योग्यता से राष्ट्र की उन्नति में अपना योगदान दे सके | इतने पर भी गोपाल के पिता को बात समझ नही आयी वे बोले ” तो गोपाल काम नही करेगा तो बहुत नुकसान होगा , वर्मा जी बोले आप शायद भूल रहे है अभी कुछ देर पहले ही आपसे कहा है कि किसी मजदूर को मजदूरी देकर खेत पर काम करवा लो | थोड़े से फायदे के लिए गोपाल की पक्की आमदनी में रुकावट ना बनो | यदि गोपाल पढ़कर बड़ा आदमी बनता है तो आपकी सात पीढ़ी तक का कष्ट कट जाएगा |, वर्मा जी ने समझाते हुए कहा | गुरूजी आप ठीक बोलते हो इतने दिनों तक हम ग्रामीण लोग अपनी अशिक्षा के कारण इसी बात में विस्वास करते थे कि पढ़ाई लिखाई से कोई फायदा नहीं केवल खेत के काम मे रुकावट आती है | पर आज आपने मेरी आँखे खोल दी है और अब मै गोपाल को पढने से कभी नहीं रोकूँगा | कालान्तर में गोपाल ने प्रशासनिक अधिकारी बन कर पिता का ही नही वरन अपने गाँव का भी नाम रौशन किया |……अशिक्षा अँधेरा है ……शिक्षा सवेरा ……है
शान्ति पुरोहित

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

2 thoughts on “खड़ी फसल

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी कहानी बहन जी .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी और प्रेरक कहानी.

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