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वास्तविक नायक – श्री नरेन्द्र मोदी!

अभी तक के प्रदर्शनों से जो दृष्टिगोचर हो रहा है, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी वास्तविक जिंदगी के नायक बनकर उभरे हैं. भूटान और नेपाल को वरदहस्त प्रदान करना, ब्रिक्स सम्मेलन में भारत का दबदबा स्थापित करना. कुरता पायजामा पहन कर एयर इण्डिया के विमान में चढ़ना और सूट पहन कर जापान की धरती पर उतरना, जापान में जाकर मछलियों को दाना खिलाना, बौद्ध मंदिरों का दर्शन करना, जापानी स्कूलों के बच्चों से मिलना, उद्योगपतियों को आमंत्रित करने की अनूठी शैली में सम्बोधन करना, बांसुरी और ड्रम बजाना, जापानी प्रधान मंत्री को गीता देते हुए यह कहना कि मेरे पास इससे बड़ा उपहार नहीं है, आपको देने के लिए, फिर वहीं से विरोधी पार्टियों पर तंज कसना कि ‘गीता का उपहार’ शायद हमारे सेक्युलर मित्रों को पसंद न आये. शिक्षक दिवस पर भारत के विभिन्न भागों के स्कूलों के बच्चों से उन्ही की तरह शरारती लहजे में बात करना…इतने सारे गुण तो एक नायक में ही हो सकते हैं.
भारतीयों फिल्मों के नायक चाहे जो भी किरदार में हों उसे गाड़ी चलाना, मारपीट करना, नाचना, गाना और बजाना तो आना ही चाहिए. जैसे को तैसा सलूक ये नायक करते हैं.
स्वानुशाशन का पालन करते हुए पहले खुद को समय का पाबंद बनाना और दूसरों को अनुशाशन का पाठ पढ़ाना ज्यादा अनुकूल होता है. पहले खुद आदर्श प्रस्तुत करें, तभी दूसरे आपका अनुसरण करेंगे. हमारे धर्मशास्त्र, इतिहास के जितने भी नायक हुए हैं, सभी ने पहले खुद को आदर्श पुरुष बनाया, तभी उनका अनुसरण लोग करते हैं. महात्मा गांधी के एक आह्वान पर पूरा देश चल पड़ता था. आज मोदी मन्त्र से सभी सम्मोहित हो जाते हैं. पूरा देश उन्हें आशा भरी नजरों से देख रहा है. सभी राष्ट्रीय मीडिया मोदी जी का लाइव टेलीकास्ट तो कर ही रहे हैं, साथ साथ उनके रिपोर्टर जनता के पास तुरंत प्रतिक्रिया लेने भी पहुँच जाते हैं. ये बात अलग है कि संसाधन युक्त स्कूल के बच्चे ही मोदी से सीधा जुड़ पाये. सुदूर इलाके में रेडिओ के द्वारा उनके भाषण/संवाद सुनाये गए. बहुत सारे स्कूलों में मूलभूत सुविधा का अभाव है. उन्हें सुविधा संपन्न बनाने की सबकी जिम्मेवारी है. सरकारी स्कूलों के स्थिति ज्यादा बदतर है, वहां सभी सरकारों को ज्यादा ध्यान देना होगा, तभी मोदी जी का संपन्न और समृद्ध भारत का सपना पूरा हो पायेगा. उम्मीद है कि आगे निरंतर सुधार देखने को मिलेंगे.
परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में जापान से भले ही सहयोग न मिला हो, उसके अनेकों कारन हो सकते हैं, पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधान मंत्री टोनी एबोट ने भारत आकर भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया का बिजली उत्पादन के लिए बहुप्रीतीक्षित परमाणु पर हस्ताक्षर किये. यह करार हो जाने से भारत की बिजली की आवश्यकता पूरी करने में काफी हद तक मदद होगी …ऑस्ट्रेलिया भारत को बिजली उत्पादन को यूरेनियम देगा ..ऑस्ट्रेलिया में लगभग २०% यूरेनियम की उपलब्धता है. साथ ही तमिलनाडु से चोरी की गयी अर्धनारीश्वर और नटराज की चोल वंश के समय की मूर्तियां भी ऑस्ट्रेलिया द्वारा इस तरह वापस लौटाना एक चमत्कार से कम नहीं है. ज्ञातव्य है कि (सुभाष कपूर द्वारा चोरी की गयी मूर्तियों) इन मूर्तियों को ऑस्ट्रेलया के आर्ट गैलरी में रखा गया था. इस पर भारत ने बहुत पहले आपत्ति दर्ज करा दी थी, लेकिन इसे लौटना तो मोदी के समक्ष ही था. करोड़ों के मूल्य की ये मूर्तियां हमारे देश की पुरानी संस्कृति की अमूल्य धरोहर भी है. यह काम भी मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व ही कर सकता है.
मोदी जी लगातार काम करते हुए थकते नहीं हैं. वे बच्चों से कहते हैं- “अपनापन चिरन्जीवी होता है, जब आप के जैसे बच्चों से बात करता हूँ तो सारी थकान दूर हो जाती है. देश के सवा सौ करोड़ लोग मेरा परिवार है. वे बच्चों को गूगल की जगह पुसतकेँ पढ़ने की सलाह देते हैं. उनके अनुसार गूगल से ज्ञान नहीं प्राप्त होता है, ज्ञान तो पुस्तकों और शिक्षक से ही मिलता है. हमें अच्छे शिक्षक की आवश्यकता है”, क्योंकि शिक्षक कभी रिटायर नहीं होता. खेल कूद नहीं तो जीवन खिलता नहीं है. महापुरुषों का जीवन चरित्र अवश्य पढ़ें. यह भी सन्देश वे बच्चों को देते हैं. स्कूलों में टॉयलेट की ब्यवस्था पर उन्होंने पुन: जोर दिया ..चांदनी रात का दर्शन, सूर्योदय और सूर्यास्त का दर्शन. प्रकृति के दर्शन और संरक्षण. अच्छा बिद्यार्थी, अच्छा नागरिक बनना भी देश सेवा है. बिजली बचाना पर्यवरण की रक्षा भी देश सेवा है. देश की सेवा के लिए सीमा पर जान देना और राजनेता ही बनना जरूरी नहीं है. भारत के भविष्य यही बच्चे है. अगर बच्चे अच्छे होंगे तो देश निश्चित ही अच्छा होगा.
आत्मविश्वास इतना कि २०२४ तक यानी कि आगामी १० सालों तक उन्हें कोई खतरा नहीं है. बच्चों के एक सवाल के जवाब में ही उन्होंने कहा की २०२४ के चुनाव की तैयरी करो तभी प्रधान मंत्री बनने का सपना पूरा हो सकेगा. इसका मतलब यह कि दस साल तक वे अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए जी तोड़ कोशिश करेंगे.
अभी हाल ही में प्रधान मंत्री जन-धन योजना की पहले ही दिन मिली अपार सफलता के बाद, उनका दूसरा लक्ष्य सफाई अभियान का भी है. दिक्कत यही है कि २८ और २९ अगस्त को जो रिस्पांस बैंकों का था, बाद में वे अपने पुराने ढर्रे पर आगये और जन-धन के साथ साधारण खाता खोलने वालों को भी टरकाते रहे, क्योंकि अब उनके ऊपर प्रेस का कैमरा नहीं दीख रहा. पता नहीं जिन गरीबों का खाता खुला है, उसे कितना टरकायेंगे. इस सोच को बदलने की आवश्यकता है.

मोदी जी की वक्तृत्व कला अद्भुत है और हाजिर जवाब भी वैसे ही. बच्चों से लगाव इन्होने रक्षा बंधन से लेकर लालकिले के प्रांगण तक में भी दिखलाई थी और शिक्षक दिवस के दिन तो मानो सभी बच्चों को खिलखिलाने पर मजबूर कर दिया. अब चाचा नेहरू के जगह चाचा मोदी को ही बच्चे याद करेंगे. उनका व्यक्तित्व, आंतरिक ऊर्जा ऐसा है की उनके चेहरे पर कभी भी थकन की शिकन तक महसूस नहीं होती. समयानुसार शब्दों का चयन या शब्दों की बाजीगरी उनकी शक्ति है. इन्होने अपना पारिवारिक जीवन त्याग दिया और देश सेवा में खुद को समर्पित कर दिया है. ब्रह्मचर्य में भी एक असीम शक्ति होती है, तभी वे बिना थके लगातार काम करने के आदि हैं.
कूटनीति ऐसी की आतंरिक शत्रु-मित्र सभी किनारे लग गए. पाकिस्तान भारत पर बुरी नजर रखते हुए खुद अपनी कुदृष्टि का शिकार बन गया है और वहां गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो गयी. बेचारे नवाज शरीफ ने मोदी जी को आम का टोकड़ा भेजकर अपनी शरण में लेने का अनुरोध भी जता दिया. जापान से दोस्ती कर चीन को भी समझा दिया और ऑस्ट्रेलया से परमाणु करार कर अमेरिका को भी अचंभित कर दिया. अब तो युद्ध की सामग्री ही अमरीका से लेने हैं पाकिस्तान को धमकाने के लिए और निवेश की राह को और आसान करने के लिए. अमरीका आदि विकसित राष्ट्र भारत में निवेश करने को आतुर हैं निश्चित ही अच्छे दिनों की आहट सुनाई पड़ रही है. थोड़ी कानून ब्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है, महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर रोक लगनी चाहिए और रोजगार सृजन की जल्द ब्यवस्था होनी चाहिए, ताकि नौजवान भटके नहीं. चीजें सही मूल्य पर उपलब्ध हों, कालाबाजारी या कृत्रिम अभाव पैदा कर दाम बढ़ाने की कोशिशों को बंद किया जाना चाहिए. मुनाफाखोरों और बिचौलियों पर लगाम लगनी ही चाहिए. यह बात सही है, प्रधान मंत्री हर जगह खड़ा तो नहीं रहेंगे, पर उनके मंत्री और पदाधिकारी भी उतने ही ईमानदार होने चाहिए.
अब उनके मंत्री भी अपने १०० दिन के कार्यक्रम का लेखा-जोखा प्रस्तुत कर रहे हैं. यह प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की ही ईच्छा का परिचायक है.
उधर भारत के जन्नत(कश्मीर) में जलप्रलय से जो जिल्लत हो रही है, उसका भी समाधान और सामान की देख रेख करने प्रधान मंत्री खुद गए हैं. निश्चित ही वे कश्मीरियों और पर्यटकों की हर सम्भव मदद का प्रयास करेंगे ही.
अपने सम्मुख किसी भी व्यक्ति/जनता/श्रोताओं/दर्शकों को सम्मोहित करने की उनमे अजीब शक्ति है! आगे भी वे अपने प्रयास में सफल रहें यही कामना है.
जय हिन्द! जय भारत!
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

2 thoughts on “वास्तविक नायक – श्री नरेन्द्र मोदी!

  • जवाहर लाल सिंह

    हार्दिक आभार! आदरणीय सिंघल साहब!

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख, जवाहरलाल जी. बैंक कर्मचारियों पर आपकी टिप्पणी एकदम सही. अब वे फिर टरकाऊ मुद्रा में आ गए हैं. आपके इस लेख को हम अक्तूबर अंक में छापेंगे. कृपया वेबसाइट पर आते रहें.

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