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मंगल पर ऐतिहासिक विजय

२४ सितम्बर, २०१४ का वह सुहाना सवेरा क्या कोई भारतीय भूल पाएगा? शायद कभी नहीं। यह दिन हमारे लिये उतना ही गौरवशाली और ऐतिहासिक है जितना अमेरिकियों के लिए २१ जुलाई १९६९ था जिस दिन नील ए. आर्मस्ट्रौन्ग ने चन्द्रमा पर पहला कदम रखा था। भारतीय वैज्ञानिकों ने वह कर दिखाया जिसे सारी दुनिया असंभव समझती थी। २४ सितंबर को सवेरे ७.४७ बजे हमारे स्वदेशी मंगलयान को हमारे वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक लाल ग्रह की कक्षा में स्थापित कर दिया। सारा देश खुशी और गर्व से झूम उठा। इस ऐतिहासिक क्षण का इसरो के वैज्ञानिकों के साथ साझा करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने हृदय के स्वाभाविक उद्गार व्यक्त करते हुए कहा – जब काम मंगल होता है, इरादे मंगल होते हैं, तो यात्रा भी मंगल होती है। प्रधानमंत्री का कथन सौ फीसदी सत्य है। भारत को जगत्गुरु बनने से कोई रोक नहीं सकता।

PSLV-C25 प्रक्षेपक से ऐतिहासिक मंगलयान गत वर्ष ५ नवम्बर, २०१३ को श्रीहरिकोटा से प्रक्षिप्त किया गया। यान ने दिनांक १ दिसम्बर, २०१३ को पृथ्वी की कक्षा का परित्याग कर लाल ग्रह के लिये अपनी महत्त्वाकांक्षी यात्रा आरंभ की। यह एक जटिल प्रक्रिया थी क्योंकि भारत परंपरागत ठोस ईंधन के स्थान पर तरल ईंधन का प्रयोग कर रहा था। सारी दुनिया इस प्रयोग को संशय की दृष्टि से देख रही थी। उन्हें विश्वास ही नहीं था कि एक विकासशील देश ऐसे प्रयोग से मंगल तक पहुंच सकता है। लेकिन सबके सन्देह उस दिन ध्वस्त हो गये जिस दिन नैनो कार की आकृति के बराबर हमारे मंगल यान ने लाल ग्रह से प्रभावित वातावरण में प्रवेश किया। यह शुभ दिन १९ सितम्बर २०१४ का था। २२ सितम्बर को हमारा यान मंगल के और करीब आया और सफलतापूर्वक मंगल के गोल मंडल में प्रवेश कर गया। विदेशी वैज्ञानिक जहां हैरान थे वही हमारे वैज्ञानिकों के चेहरे चमक रहे थे।

लेकिन अन्तिम परीक्षा बाकी थी। लाल ग्रह की कक्षा में सही-सही स्थापित करने के लिये लगाया गया हमारा 440N Liquid Engine लगभग ३०० दिनों से सुप्त था। अगर वह चालू नहीं होता, तो सारा मिशन व्यर्थ हो जाता। सबके दिल धड़क रहे थे। वैज्ञानिकों की आंखों से नींद गायब हो चुकी थी। रेडियो सिग्नल की मदद से इन्जन का पायरो (Pyro) वाल्व खोला गया और उसी दिन, २२ सितम्बर को ३३० दिनों से सुप्त 440N Liquid Engine को ४ सेकेन्ड के लिये फ़ायर करके मंगलयान की Trajectory को सही किया गया। अबतक किये गये सारे प्रयोग शत प्रतिशत सही एवं खरे उतर रहे थे। प्रधानमंत्री लगातार वैज्ञानिको के संपर्क में थे। वे अपनी उत्सुकता को दबा नहीं पाये और दिनांक २४ सितम्बर को उन वैज्ञानिकों के बीच पहुंच ही गये जिन्होंने भारत को उस मुकाम तक पहुंचाया था जहां बड़े-बड़े विकसित देश भी नहीं पहुंच पाये थे। प्रधानमंत्री की उपस्थिति में वैज्ञानिकों ने तरल इंजन को दुबारा फायर किया और खुली आंखों से देखा हुआ एक सपना साकार हो ही गया। हमारा मंगलयान सवेरे ७ बजकर ४७ मिनट पर मंगल की कक्षा में स्थापित हो गया। भारत ओलंपिक में १०० स्वर्ण पदक पा ले, एसियाड के सारे गोल्ड मेडल पर कब्जा कर ले, तो भी उतनी खुशी नहीं होगी, जितनी खुशी २४ सितम्बर का यह स्वर्णिम दिवस दे गया।

भारत की यह उपलब्धि इसलिए और भी विशिष्ट हो जाती है कि अपने प्रथम प्रयास में ही लाल ग्रह पर पहुंचने वाला यह पहला देश बन गया है। अबतक मंगल तक पहुंचने के लिये विश्व ने ५१ प्रयास किये हैं लेकिन मात्र २१ प्रयास ही सफलता प्राप्त कर सके हैं। हमारा मंगलयान Lyman Alpha Photometer से लैस है जो मंगल के उपरी वातावरण में deuterium और hydrogen की उपस्थिति और मात्रा की माप करेगा जिससे यह पता लगाया जा सकेगा कि ग्रह की उपरी सतह पर कभी जल था या नहीं। यान में स्थापित मिथेन सेंसर ग्रह पर मिथेन गैस की खोज करेगा और रंगीन कैमरा – Thermal infrared spectrometer वे दुर्लभ तस्वीरें लेगा जिससे ग्रह से उत्सर्जित तापीय ऊर्जा, खनिज पदार्थ एवं मिट्टी का आंकलन किया जा सकेगा। मंगल ग्रह पर यान भेजने के अपने पहले मिशन में अमेरिका ने जहां ४००० करोड़, युरोपियन यूनियन ने ३५०० करोड़, रुस ने २५०० करोड़ रुपए खर्च किये थे वहां हमने सिर्फ ४५० करोड़ खर्च करके यह उपलब्धि पाई है। दुनिया आश्चर्यचकित है। हमने असंभव को संभव कर दिखाया है। सचमुच हमारा सीना ५६ इन्च का हो गया है।

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा

बिपिन किशोर सिन्हा

B. Tech. in Mechanical Engg. from IIT, B.H.U., Varanasi. Presently Chief Engineer (Admn) in Purvanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd, Varanasi under U.P. Power Corpn Ltd, Lucknow, a UP Govt Undertaking and author of following books : 1. Kaho Kauntey (A novel based on Mahabharat) 2. Shesh Kathit Ramkatha (A novel based on Ramayana) 3. Smriti (Social novel) 4. Kya khoya kya paya (social novel) 5. Faisala ( collection of stories) 6. Abhivyakti (collection of poems) 7. Amarai (collection of poems) 8. Sandarbh ( collection of poems), Write articles on current affairs in Nav Bharat Times, Pravakta, Inside story, Shashi Features, Panchajany and several Hindi Portals.

One thought on “मंगल पर ऐतिहासिक विजय

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा लेख, बिपिन जी. हमारा सर गर्व से ऊंचा हो गया है.

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