कविता

”प्रियतम का इंतजार ”

निः शब्द शांत मन में मचल रहा है

प्रेम तुम्हारा अपार,

सांसों का हर लम्हा कर रहा

प्रियतम का इंतजार ……

जीवन के स्वप्निल पथ पर

खड़ी-खड़ी याग सोंचूं

जाने कब कब पूरा होगा सपना मेरा

निशिदिन जो मैं देखूँ……

है मेरे मन में कब से ये मनुहार ,

सांसों का हर लम्हा कर रहा

प्रियतम का इंतजार ……

खिली चांदनी है नभ पर

मचल-मचल इठलाती ….

पूर्णमासी की खिली चाँद है

प्रेम सुधा बरसाती …..

कर दो इस पावन मन को

करके वादे हजार ….

सांसों का हर लम्हा कर रहा

प्रियतम का इंतजार ……..!!

संगीता सिंह 'भावना'

संगीता सिंह 'भावना' सह-संपादक 'करुणावती साहित्य धरा' पत्रिका अन्य समाचार पत्र- पत्रिकाओं में कविता,लेख कहानी आदि प्रकाशित

One thought on “”प्रियतम का इंतजार ”

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर कविता. पढ़कर मन प्रसन्न हो गया.

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