कविता : मर्यादा
‘तुमसे प्यार करता हूँ “रोज रोज यह कहने से क्या फ़ायदा मेरे मौन को समझती हो तुम मेरे शब्दो से ज़्यादा पर मन कहता हैं
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Read Moreअकेला आदमी अधुनातन लम्हो में स्वतः ही खनकती हंसी को टटोलता अकेला आदमी . लोलुपता की चाह में बिखर गए
Read Moreहे माँ सुन ले मेरी भी पुकार कर दे मेरे जीवन का तू उद्धार !! दिल से मेरे नफरत मिटा
Read Moreस्वामी श्रद्धानन्द जी के महाराज के हिंदी प्रेम जगजाहिर था। आप जीवन भर स्वामी दयानंद के इस विचार को कि
Read Moreथानेदार साहब को भैंस का दूध बहुुत पसंद था। वे अपना अपमान तो सह सकते थे, पर भैंसों की शान
Read Moreउल्फत का ज़माने में यही दस्तूर देखा हर किसी को चाहत में मजबूर देखा आँखें बयां करती हैं उनके इश्क
Read Moreमेरे भाई अरविन्द कुमार की एक अन्य कविता आकाश मे सूर्य प्रज्वलित रहे हमेशा पूरी तीव्रता के साथ, ताप और
Read Moreइंतज़ार… इंतज़ार इंतज़ार बाक़ी है. तुझे मिलने की ललक और खुमार बाक़ी है. यूँ तो बीती हैं सदियाँ तेरी झलक
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