लेखहास्य व्यंग्य

राजदीप सरदेसाई के लगे चाँटे का महत्त्व

dehi-01राजदीप सरदेसाई को जिस किसी व्यक्ति ने थप्पड़ मारा वह अनुचित है और उसके लिए उसे कानूनी के अनुसार दण्ड मिलना ही चाहिए। बस इस घटना का इतना ही महत्त्व है इतनी सी बात ही काफी है। इससे अधिक ना तो अलोचना या फिर भर्त्सना करने की आवश्यकता है और ना ही किसी विधवा विलाप की (जो कुछ विद्वान एवं शान्तिप्रिय लोग कर रहे हैं) क्योंकि इस आदमी को आज अमेरीका नहीं बल्कि जेल में होना चाहिए था पर ये पत्रकारी भगवान हैं अतः ये जो करते हैं वो वेद ज्ञान है, जी नहीं माफी चाहता हँ, कोई दूसरे तरह का दैवीय ज्ञान है (क्योंकि राजदीप जी को वेद और हिन्दू लुच्चे लफंगे और दंगाई लगते हैं)।

जितने भी विद्वान और शान्तिप्रियता की बात करने वाले लोग हैं उनसे हाथ जोड़कर निवेदन है कि उन्हें चाहिए कि भगवन राजदीप सरदेसाई जी से पूछें की उस महान शक्स (राजदीप सरदेसाई) को जेल में क्यों नही होना चाहिए क्योंकि ये वही महान ईश्वरीय शक्ति हैं जो किसी ओवैसी और तोगड़िया के खिलाफ फतवा जारी करते हैं देश का माहौल और धर्मनिरपेक्षता के ताना-बाना तबाह करने के लिए जबकि आप स्वयं असम के दंगों पर फतवा जारी करते हैं कि ‘जब तक 1000 हिन्दू असम में नहीं मार दिए जाते और गुजरात का बदला पूरा नहीं होता तब तक किसी भी समाचार पत्र और चैनल को इसके बारे में बात भी नहीं करना चाहिए।’ क्या उनका ये महान दैवीय संदेश और न्यायप्रियता तथा भारतीय संविधान के प्रति इस समर्पण इस देश का का माहौल और धर्मनिरपेक्षता के ताने-बाने को तबाह करने के लिए काफी नहीं था (जिसके स्वयंभू संरक्षक आप स्वयं हैं)? क्या कुछ ऐसे ही बयानों के लिए ओवैसी और तोगड़िया को जेल भेजने की माँग और मुकदमा किया जाता है क्योंकि आपके अनुसार वे गुन्डे टाइप के नेता हैं तो क्या आप ही के अनुसार श्री 1008 श्री राजदीप सरदेसाई जी गुन्डे टाइप के पत्रकार नहीं हैं? और अगर हे भगवन! आप मानते हैं कि आप गुन्डे टाइप के पत्रकार नहीं (जिससे मुझे भी सहमत होना ही पड़ेगा क्योंकि आप ईश्वर जो हैं) वरन सच्चे और निःस्वार्थी पत्रकार हैं क्योंकि आपने ट्विटर पर माफी माँग ली थी तो फिर ओवैसी और तोगड़िया जैसे लोग कैसे गलत हो सकते हैं? वे तो कोर्ट में अपने बयानों को तोड़ने और मरोड़ने का आरोप आप जैसे दैवीय लोगों पर लगाते हैं और कई बार बाकायदा लिखकर कोर्ट में आम जनता से माफी भी माँगते हैं और हार थककर जेल भी जाते हैं? आपके हिसाब से तो ऐसे लोग बिल्कुल सही और पाक-साफ हैं। पाक-साफ ही क्यों वे तो आप ही की तरह देव हैं इनकी चरण वन्दना की जानी चाहिए जैसे की आपकी हो रही है।

हे देव! मुझे माफ करना परन्तु बहुतों हिन्दूस्तानियों के दिल में ये दर्द घूमड़-घूमड़ कर उमड़ रहा है कि इस कार्य में वे पीछे कैसे रह गए जबकि उनका इस कार्य में कोई सानी नहीं है।

© राजीव उपाध्याय

राजीव उपाध्याय

नाम: राजीव उपाध्याय जन्म: 29 जून 1985 जन्म स्थान: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश पिता: श्री प्रभुनाथ उपाध्याय माता: स्व. मैनावती देवी शिक्षा: एम बी ए, पी एच डी (अध्ययनरत) लेखन: साहित्य एवं अर्थशास्त्र संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in

One thought on “राजदीप सरदेसाई के लगे चाँटे का महत्त्व

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सही लिखा है. राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार पत्रकारिता के नाम पर कलंक हैं. इन्होंने धर्मनिरपेक्षता की अपनी परिभाषाएं गढ़ रखी हैं. इसके अनुसार जो ये करते हैं वह सब सही है, बाकि सब गलत है. अगर कोई इनके कुकर्मों पर ऊँगली उठता है तो हाथ धोकर उसके पीछे पड जाते हैं.
    अमरीका में जो घटना घटी उसकी शुरुआत इन्होने ही गाली देकर और हाथ उठाकर की थी. फिर तो इन्हें पिटना ही था. अफ़सोस कि पिटाई कम हुई. जरा जमकर ठुकाई हो जाती तो दिल को बहुत शांति मिलती.

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