राजनीति

स्वच्छता अभियान का सामाजिक और आर्थिक निहितार्थ

विगत 2 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू किया गया स्वच्छता अभियान अब रंग दिखाने लग गया है। प्रधानमंत्री मोदी का स्वच्छता अभियान केवल सड़क की गंदगी हटाने तक ही सीमित नहीं रह गया है अपितु इस अभियान के काफी गहरे राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक निहितार्थ भी है। जो कि अब धीरे- धीरे समझ में आ रहे हंै। मोदी जी अपने स्वच्छता अभियान के माध्यम से जहो जनता में स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करने का काम कर रहे हैं वहीं इसकी आड़ में वे काफी गहरे संदेश भी दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वच्छता अभियान के बारे में अमेरिका में राष्ट्रपति बराक ओबामा को भी बताया और वहां के उद्योगपतियों तथा अमेरिका में बसे भारतीय मूल के नागरिकों को भी बताया। स्वच्छता अभियान के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महात्मा गांधी की 150 वीं वर्ष गांठ पर उन्हें एक अनुपम सौगात देना चाहते है। प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी जी के सबसे प्रिय काम सफाई को जन आंदोलन में बदलने का फैसला लिया है।

यह बात बिलकुल अक्षरशः सत्य है कि आज पूरे भारत में गंदगी का एक बहुत बड़ा साम्राज्य फैल गया है। कोई शहर, जिला, गांव या फिर शहरों की गलियों में गंदगी का ढेर पड़ा रहता है। गंदगी और उसके कारण फैलने वाला प्रदूषण आज देश का एक कटु सत्य बन चुका है। फैक्ट्रियों का बहता गंदा पानी और अन्य अपशिष्ट पदार्थ नदियों को प्रदूषित कर रहा है। हमारे द्वारा फैलाई जा रही गंदगी के चलते आज जल जंगल जमीन आकाश और वायु सब कुछ प्रदूषित हो चुका है। लखनऊ से कानपुर जाते ही बसों व रेलों में बैठे यात्रियों का सड़ांध व बदबू के कारण बैठना मुश्किल हो जाता है। देश में गंदगी के कारण पूरा का पूरा वातावरण ही जहरीला होता जा रहा है। देश में सफाई अभियान की इतिश्री केवल प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रियों द्वारा झाडूं लगाने से ही नहीं हो जायेगी अपितु इसके लिए देश की नारी शक्ति में गहन जागरूकता पैदा करनी होगी तथा अभियान की सफलता में उन्हें ही सबसे आगे भी करना होगा।

आज सफाई अभियान की सफलता के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात की है देश में छोटी छोटी पालाीथीन में बिकने वाले पान मसाले व अन्य खाद्य उत्पादों को पूरी तरह से पाबंद कर दिया जाये गंदगी का साम्राज्य बढ़ाने में पालाीथीन का एक बहुत ही बड़ा योगदान है। सफाई अभियान के अंतर्गत प्रधानमंत्री मोदी व राजग सरकार ने नदियों को भी शामिल कर लिया है। अभी केवल सफाई के लिए रोडमैप ही तैयार हो रहे हैं तथा प्रजेंटेंशन दिये जा रहे हैं। भारत की हर नदी बहुत ही गंदी हो गयी हैं तथा इतनी अधिक प्रदूषित हो गयी हैं कि उनके किनारे खड़ा होने में भी मन को सुखद अनुभूति का एहसास नहीं हो रहा है। हालांकि मोदी सरकार की ओर से चलाये जाने वाले स्वच्छता अभियान में विदेशी सरकारों व उद्योगपतियों ने भी अपनी दिलचस्पी दिखाई है व कई सरकारों ने इस अभियान में शामिल होने की इच्छा भी जाहिर की है। गंगा नदी व अन्य छोटी सहायक नदियों की सफाई के लिए काफी पैमाने पर धन की आवश्यकता होगी। गंगा नदी की सफाई पर सर्वोच्च न्यायालय में भी सुनवाई चल रही है। गंगा नदी के लिए तो एक अलग से विश्वविद्यालय तक बनाने की चर्चा चल रही है।

अब देश में सफाई अभियान को उसी प्रकार से धरातल पर उतारने की आवश्यकता आ पड़ी है जैसा कि कभी हरित क्रांति व पल्स पोलियो अभियान के चलाया जा चुका है तथा चलाया भी जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने सफाई अभियान के सफल संचालन व जनगारूकता पैदा करने के उददेश्य से नवरत्नों की एक टीम बनायी है जोकि अब झाड़ू लगाकर जनता को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का काम कर रही है। खबर है कि देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी सहित भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, उद्योगपति अनिल अंबानी सहित कई जानी मानी हस्तियां सड़क पर अपनी टीमों के साथ झाडू़ं लगाकर सफाई के प्रति एक संदेश दे चुके हैं तथा कई अन्य हस्तियां इस अभियान में उतरने भी जा रही हैं।

सफाई अभियान को सफल बनाने के लिए इस बात की महती आवश्यकता है कि मीडिया में सफाई के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए सघन विज्ञापन कैंपेन चलायी जाये तथा प्रेरक स्लोगन आदि बनवाकर उनका हर प्रकार से प्रचार- प्रसार किया जाये। आज देश को साफ रखने के लिए सभी बच्चांे व युवाओं को भी शपथ लेनी होगी। गंदगी व सफाई के अभाव के चलते ही डायरिया सहित पचास प्रतिशत से अधिक बीमारियां फैलती हैं तथा गंदगी के संक्रमण से मौतें भी होती हैं। धूल व गंदगी के सांस सम्बंधी बीमारियां फैलती हैं त्वचा के रोग फैलते हैं। महात्मा गांधी बहुत ही सफाई पसंद थे कहा जाता है कि वे अपना शौचालय भी खुद ही साफ करते थे। यहां तक कि इस मामले में उनकी एक बार कस्तूरबा से भी नाराजगी हो गयी थी। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने दो अक्टूबर का ही दिन चुना ।

अब उन्होंने दो कदम आगे जाते हुये आगामी 14 नवम्बर पंडित जवाहर लाल नेहरू की 125 वीे जयन्ती से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की 19 नवम्बर की जयन्ती तक विशेष सफाई अभियान चलाने की बात कही है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि 19 नवम्बर को देश के सभी स्कूलों में बच्चों को सफाई के लिए प्रेरित भी किया जाये। उनकी इस घोषणा से तो कांग्रेसी नेताओं के हाथों से तोते उड़ गये है। क्योंकि इस घोषणा के बाद अब नेहरू व इंदिरा जी भी मोदी की फेहरिस्त में शामिल हो गये हैं तथा कांग्रेसियों के पास कोई महापुरूष नहीं बचा रह गया है। जिसके आधार पर वे अपनी राजनीति को चमका सकें तथा प्रधानमंत्री मोदी व उनकी सरकार को घेर सकें। अभी तक कांग्रेसी मोदी सरकार पर यह आरोप लगा रहे थे कि यह सरकार नेहरू जी व इंदिराजी जयंती मनाने के लिए कोई उत्साह नहीं मना रही हैं लेकिन एक के बाद एक मोदी जैसे- जैसे आगे बढ़कर कांग्रेस के पूर्व बढ़े नेताओं की जयंती कार्यक्रम बनाने जा रही है उससे कांग्रेस के आगे संकट खड़े हो गये हैं । पहले सरदार पटेल को मोदी जी ने अपनाया फिर सफाई अभियान के नाम पर महात्मा गांधी व अब उसी कड़ी में नेहरू व इंदिरा जी को भी अपना लिया है।

सफाई अभियान के दौरान उन्होनें कानूनों की सफाई का अभियान चलाने की बात भी की है। वर्तमान सरकार का मानना है देश में कानूनों का भयंकर मकड़जाल फैला है जिसके कारण विकास के कामों में बड़ी बाधा आ रही है। ऐसे कानूनांे की समाप्ति के लिए एक समिति का गठन भी कर दिया गया है।
वाकई आज देश में गंदगी एक महासमस्या बन चुकी है। देश में गंदगी को मात्र एक दो घंटे में झाड़ूं लगाकर नहीं दूर किया जा सकता है। इसके लिए सतत प्रयास करने व काम करने की आवश्यकता है। हम स्मार्ट सिटी तभी बना सकेगें जब हमारे शहर पूरी तरह से गंदगी मुक्त हो जायें । आज देश के हर ष्शहर की गलियां गंदी है। नालियां बजबजा रही हैं। सीवर खुलेआम बहते रहते हंै। गंदगी के ही कारण मच्छरों की नई खतरनाक प्रजातियां पैदा हो रही हैं जिनके कारण मच्छरजनित रोग पैदा हो रहे हैं। मच्छरों व प्रदूषित जल के कारण निवेशक दूर भागते हैें। सफाई की महत्ता तो धार्मिक गं्रथों में भी बतायी गयी है। हर धार्मिक व्यक्ति अपने कर्मकांडों की इतिश्री सफाई के माध्यम से ही करता है। आजकल प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अभियान को सफल बनाने के लिए एक नया प्रयोग शुरू किया है जिसमें वह हरियाणा व महाराष्ट्र में रैलियों के अंत में कार्यकर्ताओं से अपील कर रहे हैंे कि रैली स्थल की सफाई करके वे खुद ही जायेंगे जिसका सीधा असर भी दिखलाई पड़ रहा है।
आज देश का सबसे गंदा डपिंग यार्ड रेलवे बन चुका है। यदि रेलवे में सुधार लाना है तथा सफाई करनी है तो वहां पर पान मसाला तथा अन्य ऐसे सभी उत्पादों की बिक्री तत्काल बंद करनी ही पड़ेगी जो रेलवे को गंदा कर रहे हैं। देश का हर रेलवे स्टेशन गंदा है । हर रेल का डिब्बा गंदा है। यही हाल बस अडडों का है। गंदगी चारों ओर व्याप्त है। यह गंदगी अपने ही लोगों द्वारा फैलायी जा रही है। अब समय आ गया है पूरा देश सफाई अभियान में लग जाये वह भी ”साथी हाथ बढ़ाना“ की तर्ज पर। यह काम अवकाश के दिनों का नहीं हर क्षण का है। आज देश के अधिकांश नगर निगमों व पालिकाओं में भाजपा का कब्जा है लेकिन यह बेहद दुर्भाग्य की बात है कि आज नगर निगम अपने अधिकारों का पूरी क्षमता के साथ उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। सफाई कर्मचारियों की जनसंख्या के आधार पर भारी कमी है। अगर हम अपने अति साधारण मूलभूत सुविधाओं व कानूनों का सही उपयोग करें तो इसी से ही काफी अधिक सफाई हो सकती है। बस आवश्ययकता है सफाई के प्रति अपना नजरिया बदलने की। यदि सकारात्मक नजरिया रखा तो इसमें कोई दोराय नहीं कि हम वर्ष 2019 में महात्मा गांधी की 150 वीं वर्षगांठ पर स्वच्छ भारत के द्वारा उन्हें एक शानदार भेंट दे सकते हैं।

One thought on “स्वच्छता अभियान का सामाजिक और आर्थिक निहितार्थ

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा लेख.

Comments are closed.