राजनीति

मोदी के मायने

जब तक लोकसभा चुनाव नहीं हुए थे तब तक उन्हें अनेक पदवियों से नवाजा जा चुका था । मौत का सौदागर , कसाई , लकड़बग्घा वगैरह वगैरह । लोग उन्हें समुंदर में फेंक देने की बात किया करते । लेकिन अब समय बदल गया है । उनके विरूद्ध सभी की इस लड़ाई में वे जीत गये और आज हमारे पी एम हैं । उनके पी एम बनने के बाद से स्थितियां बदलने सी लगी हैं ऐसा विश्वास जन जन में व्याप्त है । वह दो हजार दो का भूत अब गायब सा हो गया है । चुनाव में वे अक्सर कहा करते थे कि उन्हें कांग्रेसमुक्त भारत की स्थापना करनी है । गांधी जी ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कभी कहा था कि अब कांग्रेस को समाप्त कर दिया जाना चाहिये क्योंकि कांग्रेस की स्थापना एक उद्देश्य के लिए हुई थी और अब वह उद्देश्य पूरा हो गया है । अन्यथा की स्थिति में कुछ लोग भविष्य में इसी बात की रोटी खाएंगे कि उन्होंने देश को आजाद कराया है । ऐसा अब देखा भी जा रहा है । कांग्रेस से छिटककर अन्य पाटिर्यों जो धर्मनिरपेक्षता का ध्वज लिये अपनी राजनीति करती हैं , जैसे सपा बसपा व अन्य आदि को देश को आजाद कराने का हक लेने का कोई श्रेय प्राप्त नहीं है । खान से गांधी बना नकली गांधी का परिवार सत्ता को अपनी जागीर समझता है । ऐसी ही कांग्रेस से मुक्त भारत की कल्पना को दृढ़ता से पूर्ण करने की इच्छा से वे आगे बढ़े और जैसा कि सर्वविदित है कि यह सरकार स्वतंत्रता के बाद जन्मे लोगों की सरकार है । ज्योतिषियों की राय में 1947 की आकाशीय ग्रहस्थिति की पुनरावृत्ति 2014 में हुई है । क्या वे वाकई कांग्रेसमुक्त भारत की ओर बढ़ रहे हैं या बढ़ पाऐंगे ?

चुनाव से पहले उन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल की लौहमूर्ति की गुजरात में स्थापना की बात कही तो बवाल हो गया था । इन लोगों ने कहा कि यह उन लोगों की सरकार है जिन्होंने गांधी को मारा हालांकि इस संबंध में एक बयान पहले भी देकर इनके युवराज राहुल गांधी फजीहत झेल चुके हैं । कांग्रेस से जब किसी ने यह पूछा कि फिर नेहरू जी ने आर एस एस से प्रतिबंध हटाकर क्या कोई गलती की थी ? तो इसका जवाब देने के बजाय वे बगलें व किन्तु परंतु करने लगे । पटेल की मूर्ति के संदर्भ में कांग्रेस को ऐतराज था कि पटेल तो कांग्रेस के नेता हैं । तब कांग्रेस सोच रही होगी कि गुजरात के होने के कारण वे पटेल का नाम भुना रहे हैं । हालांकि कांग्रेस ने खुद कभी पटेल को याद नहीं किया जिनका हक मारकर नेहरू जी प्रधानमंत्री बने थे । इसके बाद पी एम मोदी ने दो अक्टूबर को जिस अंदाज में स्वच्छ भारत अभियान के रूप में मनाया वह दिलचस्प है । इससे कांग्रेस को एक बार फिर लगा कि अब उनके गांधी को उनसे छीना जा रहा है । लेकिन गांधी का उनकी जयंती पर टोपी पहनकर श्रद्धांजलि देने के अलावा कांग्रेस ने कभी कोई अन्य कार्य किया ही नहीं गांधी के लिए । इससे कांग्रेस अभी पी एम मोदी पर हमलावर थी ही कि महाराष्ट्र व हरियाणा के चुनाव में पी एम मोदी ने 14 नवंबर से 19 नवंबर तक सफाई की घोषणा करके नेहरू और इंदिरागाधी को श्रद्धांजलि देने की बात कहकर एक बार फिर से कांग्रेस को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर मोदी का विरोध किस अंदाज में किया जाए । कांग्रेस ने नहीं सोचा था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब उसके अन्य पूर्वजों को भी यह नेता स्वीकार कर लेगा जिसे कांग्रेस छीनना कहेगी । अब चाहे वे छीन ही रहे हों । कांग्रेस तो आर एस एस के पुरोधाओं केा नहीं स्वीकार कर सकती लेकिन यह व्यक्ति कांग्रेस से निपटने के लिए उन्हीं के हथियारों को इस्तेमाल कर रहे हैं ।

कांग्रेस की दिक्कत यह है कि शायद वह मोदी को अब तक समझ ही नहीं पायी । लोकसभा चुनाव जीतने के बाद गुजरात से विदाई लेते वक्त पी एम ने कहा था -मुझे यह पता होता था कि मैं क्या बोलूंगा तो मेरे विरोधी क्या बोलेंगे । और मैं जो चाहता रहा उनसे बुलवाता रहा और वे धीरे धीरे मेरा चाहा करते रहे । पिछले दिनों हुए उपचुनाव में भाजपा को मिली हार से सभी ने यह सोचा कि मोदी लहर गायब हो गयी है । लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा कि इन चुनावों में कहीं भी मोदी खुद प्रचार करने नहीं गये थे । अब जा रहे हैं तो सभी पार्टियां अपने आप को परेशानी में देख रही हैं । 119 सीटों में एक भी फालतू सीट न देने पर आमादा शिवसेना भी सिमटती नजर आ रही है । आदित्य ठाकरे ने तो भाजपा को 10 सीटें कम 109 ही सीट देने की बात कहकर बात बिगाड़ दी थी ।

इधर सीजफायर का उल्लंघन होने पर हमारी फौजें जवाब दे रही हैं । मोदी चुप रहे । विपक्ष को हमलावर होने का अवसर मिल गया । तो हर मुसीबत या संकट को अवसर में भुनाने की बात करने वाले मोदी तो इस इंतजार में बैठे ही थे कि कोई बोले । जैसे ही विपक्ष बोला तो फिर मोदी बोले । सब ठीक हो जाएगा । और अगले दिन पाकिस्तान का पप्पू बिलावल बौखलाया कि भारत तो इजराईल की तरह व्यवहार कर रहा है । यानि मोदी ने ट्रिगर चलाने के अंदाज में एक रैली में जो अंगुली चलाई तो सारा वोट वटोर ले गये । रिपोर्ट हैं कि पाक में भी तबाही हो रही है और उसे पहली बार उसकी नजर में इस तरह की छिटपुट घटनाओं का इस प्रकार से जवाब मिल रहा है ।

यह तय सा लग रहा है कि बीजेपी महाराष्ट्र और हरियाणा इन दोनों ही राज्यों में बड़ी जीत की ओर बढ़ रही है । विपक्ष चाहता है कि मोदी दिल्ली में ही रहें । देश देखें , मोदी देखते हैं कि राज्यसभा में पूर्ण बहुमत के बगैर वे कैसे अपनी सरकार चला पाएंगे । इसलिए सक्रिय हैं । मोदी जिद्दी हैं और कांग्रेसमुक्त भारत की जिद लिए बैठे हैं । संकल्प ऐसे लेते हैं कि लगता है अभी पूरा हो जाएगा । लेकिन सभी को अभी भी इंतजार है कि मोदी कुछ करेंगे क्योंकि चार माह में तो एक फसल भी नहीं पकती ।

इधर एक टी वी चैनल पर दिखाया गया है कि पाक अधिकृत कश्मीर में आजादी की मांग चल रही है । वे पाक से अलग होना चाहते हैं और इसीलिए पाक सरकार ने मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया है या सरकार के समर्थक चैनल या पत्र ही चल रहे हैं । पत्रकारों केा इजाजत नहीं है कि वे वहां जाएं । पाकिस्तान अपना देश संभाल ले इतना बहुत है । यहां मोदी पर उम्मीद लगाये लोग अभी भी विश्वस्त हैं कि मोदी सब संभाल लेंगे । पाक को भी और विपक्ष को भी और राज्यों के पूर्ण चुनावों को भी ।

डाॅ द्विजेन्द्र वल्लभ शर्मा

डॉ. द्विजेन्द्र वल्लभ शर्मा

आचार्य - संस्कृत साहित्य , सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय , वाराणसी 1993 बी एड - लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ , नयी दिल्ली 1994, एम ए - संस्कृत दर्शन , सेंट स्टीफेंस कॉलेज , नयी दिल्ली - 1996 एम फिल् - संस्कृत साहित्य , दिल्ली विश्व विद्यालय , दिल्ली - 1999 पी एच डी - संस्कृत साहित्य , दिल्ली विश्व विद्यालय , दिल्ली - 2007 यू जी सी नेट - 1994 जॉब - टी जी टी संस्कृत स्थायी - राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय , केशवपुरम् , दिल्ली 21-07-1998 से 7 -1 - 2007 तक उसके बाद पारिवारिक कारणों से इस्तीफा वापस घर आकर - पुनः - एल टी संस्कृत , म्युनिसिपल इंटर कॉलेज , ज्वालापुर , हरिद्वार में 08-01-2007 से निरंतर कार्यरत पता- हरिपुर कलां , मोतीचूर , वाया - रायवाला , देहरादून

One thought on “मोदी के मायने

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा लेख., भारतीय राजनीति में इस समय मोदी जी ड्राइविंग सीट पर हैं और सभी विरोधी दल उनके सामने स्वयं को बेबस पाते हैं. उपचुनावों में जीतकर ‘मोदी की लहर समाप्त हो गयी’ कहकर शेखी मारने वाले दल अब रो रहे हैं कि मोदी जी चुनाव प्रचार में क्यों निकले. दोनों राज्यों में भाजपा अपने बल पर बहुमत पाने जा रही है और जो दल मोदी जी की लहर पर सवार होकर खुद सत्ता में आना और भाजपा को पीछे धकेलना चाहते थे, अब अपनी औकात में आ जायेंगे. जय श्री राम ! नमो नमो !!

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