कविता

करवा चौथ पर कुछ हाइकु

1
प्रेम विश्वास
अटूट सा बंधन
चन्द्र आधार ।

2
प्रीत का दीप
सुहागन का अर्ध्य
विश्वास चन्द्र ।

3
चाँद शर्मीला
झाँके बदली ओट
है जो दगीला ।

4
सूखा हलक
चाँद ऐसा बौराया
दे न झलक ।

5
मौन कंगना
झलक भी दिखा जा
चाँद अंगना ।

6
नभ का चाँद
देख के शरमाया
धरा का चाँद ।

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

4 thoughts on “करवा चौथ पर कुछ हाइकु

  • गुंजन अग्रवाल

    ha ha thnx Vijay bhai 🙂 aap to n kahe aesa

  • गुंजन अग्रवाल

    many thnx to aa gurmel singh ji 🙂 utsahvardhan cmnt dene ke liye aabhar ../..

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छे हाइकु. अब कुछ कुछ मेरी समझ में भी आने लगे हैं.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    हाइकु बहुत अच्छा है , पहले मुझे समझ नहीं आते थे , बताने में मुझे कोई शर्म नहीं है लेकिन अब दिलचस्प लगने लगे हैं . धन्यवाद .

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