कविता

“लिखना “

“लिखना ”

पल भर के लिए मिलना है
जीवन भर उसे लिखना है

एक लहर छूकर लौट गयी
ज़ख़्मों को अब सीलना है

कोई नही जानता मुझे
आईने से ये कहना है

खामोश रहते है कैसे तारे
उनसे तरीका सीखना है

अपने ही नशे में चूर चूर हूँ
शीशी से मय सा छलकना है

किशोर कुमार खोरेंद्

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on ““लिखना “

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अच्छी कविता .

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया

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