लघुकथा

सीख

घर के बाहर नुक्कड़ पर परी जैसे कपड़े पहने एक छोटी सी बहुत ही प्यारी बच्ची खड़ी थी वही एक पान की दुकान थी जो कोई भी वहां से सिगरेट लेता उससे कहती अंकल मुझे भी एक सिगरेट दिला दो प्लीज सिगरेट बड़े शौक से पीने वाले उसे डाँटते और ‘सिगरेट बुरी चीज़ हैं’ की नसीहत जरुर देते और कुछ कुछ तो सिगरेट की सब बुराइयाँ तक गिना देते एक सज्जन से रहा नहीं गया. उन्होंने बच्ची को पूछ ही लिया- “बेटा, अच्छे घर की दिखती हो, फिर ये गन्दी हरकत क्यों?’ तो वो बच्ची बोली- “अंकल आप भी तो अच्छे घर के हो फिर ये बुरी आदत क्यों ?”

बच्ची का जवाब सुन वो शर्म सार होते हुए बोला- “फिर भी मेरे सवाल का जवाब तो नहीं मिला, बेटा”. तब वो बच्ची उस सज्जन के हाथ से सिगरेट छिनते हुए एक कोने में ले गई जहा टूटी हुई सिगरेट का ढेर लगा था और सिगरेट तोड़ के उस ढेर में फेक दी, और बोली- “अंकल, मेने आपकी जिंदगी के 5 मिनिट बचा लिये.”

उन सज्जन से रहा नहीं गया पूछा- “आखिर ये सब क्यों करती हो?” तो बोली- “मेरे पापा इस बुरी आदत की वजह से मुझे अनाथ कर भगवान के पास चले गए.”

उन सज्जन की आँखों में आंसू आ गए पूरा पैकेट निकाला और मसल के फेंक दिया और आंसु पोछते हुए बच्ची के सर पर हाथ फेरते हुए निकल गए.

2 thoughts on “सीख

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर और शिक्षाप्रद कहानी.

    • धर्म सिंह राठौर

      धन्यवाद सर

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