लघुकथा

लघुकथा : आई एम सॉरी सर

“हैलो नव्या, एकबार फिर तुमने अच्छी कविता पेश की, वाहहह क्या बात है”

“थैंक्स अ लॉट हितेश सर, आपलोगों से ही सीख रही हूँ.”

“वैसे किस रस में लिखना पसंद करती हो?”

“श्रृंगार में वैसे तो…”

“वियोग या संयोग??”

“जी संयोग में ही ज्यादा…”

“मस्त हो एकदम, कुछ इश्क मोहब्बत का लफड़ा है कहीं??”

“सर कैसी बात कर रहे हैं आप!”

“प्यार गुनाह नहीं है, एक दिव्य भाव, आलोकित अनुभूति है। राजा, रंक सभी करते हैं.”

“बिलकुल मैं इस बात से मना नहीं कर रही, ना ही मैंने बुरा या गलत कहा, मगर आप अपने शब्दों पर ध्यान दें तो समझ जायेंगे कुछ ‘इश्क मोहब्बत का लफड़ा है कहीं!'”

“सॉरी नव्या.”

“आई एम सॉरी सर, मैंने आपको एक सीनियर समझा था लेकिन कुछ ही चैट सैशंस मे आपने…” नव्या का माउस प्वाइंटर ब्लॉक ऑप्शनपर था।

लघुकथाकार – कुमार गौरव अजीतेन्दु

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन

5 thoughts on “लघुकथा : आई एम सॉरी सर

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    शब्द सबके पास है लेकिन कब कैसे किसका प्रयोग करना है ये कोई कोई जान पाता है ….. अच्छा की ब्लाक कर

  • प्रवीन मलिक

    बहुत अछि लघु कथा गौरव भाई …..

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी लघुकथा. जाकी रही भावना जैसी.

  • अंशु प्रधान

    समझ अपनी अपनी

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अछे विचार , बुरे विचार .

Comments are closed.