गीतिका/ग़ज़ल

गजल- ******व्यवहार नहीं करते*****

गजल-
******व्यवहार नहीं करते*****
जो दिल में रख लेते इजहार नहीं करते.
हम ऐसे लोगों से व्यवहार नहीं करते.
चाहे जितना अच्छा किरदार निभा लें वो,
मनमर्जी से कुछ भी किरदार नहीं करते.
अपने से बड़ों की हम इज्जत तो करते हैं,
दरबारी बनकर पर दरबार नहीं करते.
गलती तो किसी से भी हो सकती है लेकिन,
जो लोग गलत होते स्वीकार नहीं करते.
नुकसान-नफा सोचें क्यों प्यार की दुनिया में,
हम प्यार के दीवाने व्यापार नहीं करते.
उनके कुछ कहने का कुछ मतलब होता है,
वो काम कभी कोई बेकार नहीं करते.
हमको जो कमी दिखती इक बार बता देते,
हर बार किसी को हम होशियार नहीं करते.
हम अपने कलम को ही हथियार बना लेते,
नाजुक है जुबाँ इसको हथियार नहीं करते.
———-डाॅ.कमलेश द्विवेदी
———–मो.09415474674

One thought on “गजल- ******व्यवहार नहीं करते*****

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत शानदार ग़ज़ल, डाक्टर साहब.

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