कविता

दीवाली भी तब-तब हो जाएगी

जब-जब दीप जलेंगे, दीवाली भी तब-तब हो जाएगी।

अंधकार की इस दुनिया में,
नहीं उम्र होती है ज्यादा
और सूर्य की किरणों को ना
बाँध सकी कोई मर्यादा
आभा के आँचल में छिपकर, तिमिर-निधि सब खो जाएगी
जब-जब दीप जलेंगे, दीवाली भी तब-तब हो जाएगी।

तमस-दीप की युगों-युगों से
हर-पल चलती रही लड़ाई
पर नन्हें दीपक के आगे
अंधियारे ने मुँह की खाई
आशाओं की नयी रोशनी, नयी फसल ही बो जाएगी
जब-जब दीप जलेंगे, दीवाली भी तब-तब हो जाएगी।

सभी पाठकों को दीपोत्सव पर हार्दिक अभिनंदन एवं कोटिशः शुभकामनाएँ

2 thoughts on “दीवाली भी तब-तब हो जाएगी

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा गीत, शरद जी.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अच्छी लगी शरद भाई .

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