ब्लॉग/परिचर्चा

धन की देवी लक्ष्मी और दिवाली

मित्रो, जिस तरह से हिन्दू धर्म चार वर्णों में बाँट दिया गया है उसी प्रकार इन वर्णों के पर्व भी, रक्षाबंधन ब्राह्मण का , दशहरा क्षत्रिय का, दीपावली वैश्यों का और होली शुद्रो का पर्व कहा गया है। रक्षाबंधन पर बहनों के राखी बांधने की प्रथा से पहले ब्राह्मण ‘रक्षा सूत्र’ बांधते थे , आज भी हाथ में कलावा बाँध के इसका प्रचालन होता है।
दशहरे को ‘ शस्त्र’ पूजन होता है , शस्त्र क्षत्रिय ही धारण करते थे।
दीपावली वाले दिन बनिया लोग साल भर का रोकड़ देखते थे/हैं ,नफा नुकसान , नया माल आदि व्यापारिक क्रियाओ का हिसाब किताब देखते थे / हैं। धन का हिसाब किताब करते थे/ हैं।

पर जब से धन को ‘ देवी लक्ष्मी’ का रूप मिला तब से सभी वर्ग मनाने लगे ,क्यों की कौन नहीं चाहता की उसके घर धन न आये? धन को देवी का रूप इसलिए दिया गया की जब देवी होगी तो उसकी ‘ पूजा’ भी होगी, जब पूजा होगी तो ब्राह्मण की आवश्यकता होगी । जब ब्राह्मण पूजा करेगा तो सेठ से भारी दक्षिणा भी लेगा क्यों की ब्राहमणों के आलावा कोई दूसरा ‘ पूजा’ करवा ही नहीं सकत …. लाइसेंस है भाई 🙂
यह बात अलग है की ‘ लक्ष्मी पूजने ‘ से धन नहीं आता , दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बिल गेट्स ने कभी लक्ष्मी पूजन नहीं किया फिर भी लक्ष्मी देवी उसके घर की चौखट पर बैठी हुई हैं।
लक्ष्मी पूजने वालो के घर लक्ष्मी आये या न आये पर दीपावली वाले दिन जुओंअड्डो पर जरुर लक्ष्मी देवी आती हैं भारत में ।

खैर, आप सब लोग दीवाली मानिए, मिठाइयाँ बाँटिये और खाइए, घरो में अपने आस पास रौशनी कीजिये, दिए जलाइए, निर्धन लोगो को भी अपनी खुशियों में से एक हिस्सा दीजियेगा , चाहे आप एक ही गरीब की सहयता करियेगा पर करियेगा जरुर…

पठाखे चलाना आप पर निर्भर है .. इसके बारे में कुछ नहीं कहूँगा 🙂

संजय कुमार (केशव)

नास्तिक .... क्या यह परिचय काफी नहीं है?

One thought on “धन की देवी लक्ष्मी और दिवाली

  • विजय कुमार सिंघल

    आपने अपनी ‘विचारधारा’ के अनुसार ही लिखा है. आप लक्ष्मी पूजन को केवल धन का पूजन बता रहे हैं. जबकि इसके पीछे बहुत सामाजिक और ऐतिहासिक कारण रहे हैं. भले ही अब लोग उन कारणों को भूल गए हों और केवल धन कमाने में लग गए हों, लेकिन इससे इस पर्व का महत्त्व कम नहीं होता.
    आप यह भूल रहे हैं कि दीपावली पर केवल लक्ष्मी जी का नहीं बल्कि साथ में गणेश जी का भी पूजन किया जाता है. गणेश को ज्ञान, बुद्धि, और विवेक का देवता माना गया है. लक्ष्मी के साथ गणेश को पूजन हिंदुत्व की महान परम्पराओं में से एक है. इसका मूल अर्थ यह है कि हम धन अच्छे कर्मों से कमायें और फिर उसका विवेक पूर्वक समाज के हित में उपयोग करें.
    पर यह अर्थ आपकी समझ में नहीं आएगा. आपके लिए तो जुआ खेलना ही दीपावली की एकमात्र महत्वपूर्ण गतिविधि है.

Comments are closed.