कविता

“कवि”

 

देख कर
तुम्हारी सुंदर छवि
मै बन गया हूँ कवि

अब तुम्ही
हमदर्द हो हमराह हो
तन्हा था कभी

तुम्हारी आँखों में नूर है
तुम्हारे ओंठो पर हैं
अनुपम हँसी

झटक कर ज़ुल्फो को
यूँ मुड़कर मुझे
देखा न करो
मैं भी आदमी हूँ
मुझमे भी है कमी

तुम्हारे आसपास ही
मंडराता रहता हैं
मेरे मन का भँवरा
तुम्हें इसका गुमान
हैं भी या नहीं

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on ““कवि”

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह ! वाह !!

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