कविता

दिल में एक छोटा सा बच्चा

मेरे दिल में एक छोटा सा बच्चा है …….
 
जो सोचता रहता है तुम्हे

​,​

 एक शरारत की तरह ………

 
कुछ बीती हुई यादों की तरह 
 
कुछ संग संग की हुई

 ​,​

 तूं तूँ  मैं मैं बातों की तरह,

 
हर पल लगता है ऐसे

 ​,​

 जैसे अपना बचपन लौट आया है,

 
कभी लगता है कि वोह प्यार

 ​,​

 फिर से दिल में उमड़ आया है,

 
पर अब तो बस यादें हैं

 ​​

 और इन दूरियों में जीना है,

 
फिर  भी यह ज़िन्दगी  का ऐसा एक मधु रस है, 
 
जिसे हम सब ने सारी उम्र पीना है, –जय प्रकाश  भाटिया 

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

7 thoughts on “दिल में एक छोटा सा बच्चा

  • मनजीत कौर

    विदेश में रहने वाली ,अपनी बहन के लिए लिखी आप की ये कविता बहुत अच्छी लगी भाई साहब । कविता पड़ कर मुझे भी अपने भाई की बहुत याद आई, और आप की बहन को भी आप की बहुत याद आई होगी । सचमुच भाई बहन का प्यार अनमोल होता है बचपन के प्यारे पल , हसना हसाना, झूट मूठ का झगड़ा , रूठना मनाना , एक दुसरे पर कुर्बान होने को तैयार रहना । चाहे भाई बहन कितने भी बड़े कियो न हो जाए पर उनके अंदर ये बचपन समाया रहता है ।

    • जय प्रकाश भाटिया

      Thank you very much manjeet Kaur,ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਉਤਸਵ ਦੀ ਲਖ ਲਖ ਵਧਾਈ,
      Pl. join me on FB also.–jai Prakash Bhatia – LUDHIANA

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर कविता, भाटिया जी. लगता है कि मुझे देखकर ही लिखी है यह !

    • जय प्रकाश भाटिया

      हमारा भी यही हाल है… शायद गुण मिलते हैं, … वैसे मैंने यह कविता अपनी बहन के लिए लिखी थी जो विदेश में रहती है…

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अच्छी कविता .

    • जय प्रकाश भाटिया

      Sat shri Akal, मैंने यह कविता अपनी बहन के लिए लिखी थी जो विदेश में रहती है

    • जय प्रकाश भाटिया

      Thank you very much S. Gurmail singh Bhamra Ji.
      ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਉਤਸਵ ਦੀ ਲਖ ਲਖ ਵਧਾਈ,
      Pl. join me on FB also.–jai Prakash Bhatia – LUDHIANA

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