कविता

कविता : तुम तक’

मैं कवि हूँ ,
तुम कविता हो मेरी
मैं लिखता हूँ,
तुम से तुम तक
मैं साज हूँ,
तुम संगीत हो मेरी
मैं गाता हूँ ,
तुम से तुम तक
मैं राही हूँ ,
तुम पथ हो मेरी
मैं जाता हूँ ,
तुम से तुम तक
मैं बादल हूँ,
तुम रिमझिम हो मेरी
मैं बरसता हूँ,
सिर्फ तुम से ,
तुम तक …..तुम तक …..तुम तक

संगीता सिंह 'भावना'

संगीता सिंह 'भावना' सह-संपादक 'करुणावती साहित्य धरा' पत्रिका अन्य समाचार पत्र- पत्रिकाओं में कविता,लेख कहानी आदि प्रकाशित

2 thoughts on “कविता : तुम तक’

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    जवानी और कविता का मेल हो जाए तो ऐसी ही कविता होती है . मज़ा आ गिया , धन्यवाद .

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