लघुकथा

घुँघरू की आवाज …..

जब वो पैदा हुई तो माँ-बापू ने उसके बड़ी अफसरानी बनने के सपने देखे थे। लेंकिन तब सब खत्म हो गया जब, उससे प्यार और शादी करने का इच्छुक वो लड़का शादी वाले दिन ही उसका सौदा करके उसे बदनाम बाजार में बिठा दिया। और आज तक वो अपने प्यार को कोस रही है। घुघरूँ की आवाज में उसकी हर चीख गुम हो गयी है।
शान्ति पुरोहित

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

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