धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आइये चले अँधेरे से उजाले की ओर

मित्रो, आइये प्रण कीजिये की हम इन सभी धर्म मजहबो को छोड़ के कोई मानवतावादी और नैतिकतावादी सिद्धांत अपनाएंगे जो तर्क,बुद्धि और विज्ञान पर खरा उतरे।

जो किसी बात को अन्धविश्वास के आधार पर आंख बंद करके मानाने पर मजबूर न करे बल्कि किसी बात को मानाने से पहले क्यों, कैसे और क्या जैसे प्रश्न करेने की छूट दे। जो तर्क करना सिखाये और बुद्धि के विकास पर जोर दे । दुनिया में सभी धर्म इंसान को आँख बंद करके विश्वास करने को कहते हैं , प्रश्न पूछना सभी धर्मो में प्रतिबंधित है वंहा तर्क और बुद्धि का प्रयोग करना वर्जित है। यदि आप धर्म या मजहब में तर्क या प्रश्न करते हैं तो सबसे बड़े पापी माने जायेंगे, काफिर माने जायेंगे।

अत: इन अन्धविश्वासी धर्म मजहबो को छोड़ के विज्ञान रूपी धर्म का साथ ले लेना सबसे ज्यादा श्रेस्कर है। विज्ञान ही वह ईश्वर अल्लाह है जो हमेशा हमारी मदद के लिए आगे आया है बिना काफिर और मलेक्ष का भेदभाव किये हुए जैसा की इन धर्मो का काल्पनिक ईश्वर अल्लाह करता है, ईश्वर मलेच्छो की मदद नहीं करता और अल्लाह काफिरो की नहीं। पर विज्ञान यह फर्क नहीं करता ।

आज इंसान जितनी भी सुख सुविधा भोग रहे हैं वह ईश्वर अल्लाह की देन नहीं विज्ञान की देन है , चाहे कोई विपदा हो ,बीमारी, आपदा , युद्ध हो सभी दुःख के क्षणों में विज्ञान ने ही मदद की है ईश्वर अल्लाह ने नहीं। ईश्वर अल्लाह कभी इंसानों को बचाने नहीं आया ,आया है तो विज्ञान।

आज जो भी इंसान के पास है वह विज्ञान की देन है ईश्वर अल्लाह की नहीं, मुझे एक भी ऐसी घटना बताइए जब ईश्वर मदद करने के लिए आया हो?
जो चीज है ही नहीं उसके पीछे क्यों अपना समय, धन, और श्रम बर्बाद कर रहे हो? जो चीज है ही नहीं उसके पीछे क्यों भाग रहे हो?

ये सभी धर्म मजहब हमें अँधेरे की तरफ धकेलते हैं उजाले की तरफ सिर्फ विज्ञान लेके आया है और आगे भी लायेगा ।धर्म मजहब हमें अन्धविश्वास के अँधेरे में रखते हैं जबकि विज्ञान हमें तर्क की रौशनी से सराबोर करता है। विज्ञान ने हमारे न जाने कितने ही प्रश्नों के उत्तर तर्क और बुद्धि के साथ दिए हैं और आगे भी देगा। धर्म मजहब के ठेकेदार चिल्लाते रहेंगे , गला फाड़ते रहेंगे पर विज्ञान न इन से रुका है और न रुकेगा …आगे और आगे बढ़ता रहेगा…

हमें इन सभी धर्मों को छोड़कर कोई मानवतावादी सिद्धांत अपनाना चाहिए जो विज्ञान और तर्क पर आधारित हो | जो किसी भी बात को आँख बंद करके मानने पर विवश न करे l जो क्या क्यों कैसे जैसे प्रश्न पूछकर तर्क करना सिखाये | जो बुद्धि के विकास पर बल देता हो | ये सभी धर्म तो हमें अन्धविश्वास की ओर ही ले जाते हैं | क्योंकि वहां पर तर्क और बुद्धि का उपयोग करना मना है | अगर आपने उसका उपयोग किया तो आप सबसे बड़े पापी माने जाओगे l

इसलिए इन सभी धर्मों को छोड़कर विज्ञान का हाथ पकड़ लेने में कोई बुराई नहीं है | विज्ञान हमेशा हमारी मदद के लिए आगे आया है चाहे युद्ध हो , महामारी हो या कुछ ओंर विज्ञान ने हमारी मदद की है | हम आज जो भी सुख सुविधा भोग रहे हैं जो कुछ भी मानव के पास है वो उसे भगवान ने नहीं विज्ञान ने दिया है l मुझे कोई एक भी ऐसा सबूत दे दो जहाँ भगवान मदद के लिए आया हो | ऐसा कोई भी सबूत नहीं है जो भगवान् के होने का प्रमाण देता हो | इसलिए जो चीज है ही नहीं उसके पीछे क्यों भाग रहे हो | सभी धर्मों ने हमें सिर्फ अन्धविश्वास से भरे अँधेरे में ही धकेला है | प्रकाश की ओंर तो सिर्फ हमें विज्ञान ले गया है | विज्ञान ने ही हमारे न जाने कितने प्रश्नों का उत्तर दिया है वो भी तर्क और बुद्धि के साथ | आगे भी विज्ञान ही हमारा साथ देगा | धर्म के ठेकेदार सिर्फ चिल्लाते रहेंगे लेकिन विज्ञान नहीं रूकेगा ये आगे बढ़ता ही रहेगा.

संजय कुमार (केशव)

नास्तिक .... क्या यह परिचय काफी नहीं है?

2 thoughts on “आइये चले अँधेरे से उजाले की ओर

  • धर्म और अन्धविश्वास में क्या अंतर हैं?यह बताये

  • विजय कुमार सिंघल

    आपका लेख पढने में अच्छा है. लेकिन व्यावहारिक नहीं है. सभी धर्म अन्धविश्वास को बढ़ावा नहीं देते. केवल एक व्यक्ति या एक पुस्तक पर आधारित तथाकथित धर्म ही ऐसा करते हैं. वैदिक धर्म की मान्यताएं विज्ञान की कसौटी पर खरी उतरती हैं. आप जिस धर्म या सम्प्रदाय की कल्पना कर रहे हैं, वह भी एक प्रकार का अन्धविश्वास है.

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