कहानी

सच्चा प्यार

रविवार का दिन था, दयाल चंद अपनी आलीशान कोठी के बाहर अपनी कार धो रहा था। कार धोने में , उसके दोनों  बेटे रवि और दीपू  भी उसकी सहायता कर रहे थे ।  वो दोनों पिता की सहायता  करने के साथ-साथ एक दूसरे पर पानी के छींटे डाल कर खेलने का आनंद  भी ले रहे थे । तभी  एक बड़ा-सा, शेर जैसा दिखने वाला कुत्ता , जो बहुत ही थका-सा और  घबराया-सा, जैसे  किसी को ढूंढ रहा हो उनके पास आया। और वो  अपनी मासूम आंखों से उनकी ओर देखने लगा और कूं-कूं करने लगा  दयाल चंद ने अपने बच्चों को उससे दूर रहने की हिदायत  दी  और बोला, “अनजान कुत्ता है, कहीं काट न ले!” कुत्ते को प्यार से पुचकारा, तो वो पूंछ हिलाते हुए दयाल चंद के पास आ गया , कूं-कूं करके रोने लगा और  उसके पैरो में ऐसे लेट गया, जैसे उससे कोई सहायता मांग रहा हो ।

दयाल चंद ने उसके सिर पर हाथ फेरा और  बोला ” क्यों रे शेरू क्या चाहिए, रास्ता भूल गया क्या ?”  कुत्ते ने दयाल चंद की और देखा अपने  कान खड़े किये, उसे ध्यान से सुनने लगा , और कुछ सोचकर  उदास हो गया, फिर वो जीभ निकाल कर हांफने लगा । दयाल चंद को महसूस हुआ, कि वो प्यासा है. उसने पानी का कटोरा भर के उसके सामने रख दिया. कुत्ते ने प्याले की ओर देखा , पानी में जीभ मार कर , जैसे जीभ ही गीली की हो.  फिर  वही मुंहं लटका कर बैठ गया। दयाल चंद के बच्चे  भी पास आ गए। उसे शेरू कह कर पुकारने लगे। बेज़ुबान  शेरू भी उनको पूंछ हिला कर जवाब दे रहा था  । धीरे-धीरे बच्चे  प्यार से उसके सिर पे हाथ फेरने लगे, पर शेरू फिर भी उदास था ।  बच्चे कहने लगे ” पापा इसे अंदर ले चलते हैं , ये हमारे साथ खेलेगा , हमारी और  हमारे घर की रखवाली भी करेगा ।” बच्चों ने पापा को मनाया । दयाल चंद  अपने बच्चों की मासूमियत देख  कर बोला ”  हां भाई हां, अंदर लिए चलते हैं, पर ये सोयेगा कहां ? दोनों बच्चे बोले  पापा शेरू हमारे कमरे में सोयेगा और कहां! ” दयाल चंद उनकी  मासूम  और भोली बातों के लुत्फ़ को और बढ़ाते हुए  बोला हां भाई, क्यों नहीं कल इसको स्कूल भी साथ ही ले जाना, कुछ पढ़ेगा तो शायद  तुम दोनों बातूनियों  की तरह  बोलने लगे , और बता  पाये  की कहा से आया है , क्या चाहता है?, रवि ने हैरानी से कहा सच्ची पापा ये हमारे साथ स्कूल जायेगा तो बोलने लगेगा?  हुर्रे  …शेरु  फिर तो हम  खूब गप्पें लड़ाया करेंगे, मज़ा आ जायेगा. चल आजा शेरू अन्दर  आजा” दीपू खुशी से उछल कर बोला | शेरू  उठा और उनके साथ अंदर चल पड़ा ।

शेरू को देख कर सभी खुश थे. दयाल चंद की पत्नि नैना  ने एक  चटाई बिछा दी, शेरू वहां पर बैठ गया| नैना  थोड़ी देर में, एक प्याले में , दूध में रोटी डाल कर  ले आई और शेरू को बोली” ले शेरू  खाले  … भूख लगी है न ?” पर शेरू वहाँ से  हिला भी नहीं ,बच्चों ने बहुत जोर लगाया, कि वो कुछ खा ले , पर वो खुछ खाना  चाहता ही नहीं  था | बस, जब उसे कोई बुलाता तो वो पूंछ हिला देता जा कूं-कूं कर देता । दीपू बोला पापा इसे शायद रोटी पसंद नहीं ये मीट खाने का शौकीन होगा  । दयाल चंद झट से बाजार से  डॉग फ़ूड ले आया और उसे प्याले में डाल कर  शेरू के  सामने रख दिया, पर वो वैसे ही बैठा रहा ।दीपू  शेरू को  प्याला दिखाते हुए  बोला” अब तो खाले शेरू देख पापा तेरे लिए किआ लाए है”| शेरू सर झुका कर उसी तरह बैठा रहा |   रवि  बोला “अच्छा तेरा पेट दर्द हो रहा है क्या? मम्मी को बोलता हु तेरे लिए कांडा बना दे जैसे मेरे लिए बनाती  है जब मुझे पेट दर्द होता है…. देखो न मम्मी ये तो  खा ही  नहीं रहा, शायद इस को पेट दर्द है ” | नैना बोली ” नहीं बेटा उसका पेट दर्द नहीं है  ये  घर जाना चाहता है  अपने   मालिक से बिछुड़  कर उदास है… ये नहीं खायेगा बेटा |  रात हो गई थी बच्चे शेरू को मनाते हुए थक गए थे , सभी खाना खा कर सो गए बच्चों को सुबह स्कूल जाना था । दूसरे दिन भी उसके सामने  खाना रखा गया ,  पर सब बेकार | बच्चे स्कूल गए और वापिस भी आ गए, आते  ही शेरू से मिल कर अपनी बातें करने लगे “ अरे शेरू तुमने खाना नहीं खाया तुझे  भूख नहीं लगी क्या ? बच्चे ऐसे ही प्यारी भोली बाते करते हुए और  उसके चेहरे पर ख़ुशी लाने की कोशिश करते हुए  उसे अपने कमरे में ले गए |

शाम हो गयी थी वो सारे परेशान थे, कि शेरू कैसे भूखा रह सकता है किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी. दयाल चंद ने दरवाज़ा खोला। सामने एक सोलह- सत्रह वर्ष का लड़का  खड़ा था. बोला, “अंकल मैंने सुना है आप को एक कुत्ता मिला है। मेरा जैकी भी कल खो गया है। हम इस शहर में नए हैं।”  … अपनी बात जारी रखते वो बोला, … ”जैकी मेरी जान है… कल से मैंने कुछ नहीं खाया है..हम एक-दूसरे के बगैर कुछ नहीं खाते, ..  प्लीज मुझे मेरा जैकी दे दीजिये”.. कहते हुए उसकी आँखों से आंसू टपक पड़े | दयाल चंद ने कहा, “एक कुत्ता मिला तो है, पर क्या सबूत है कि वो तुम्हारा ही कुत्ता है ,तुम आवाज दे कर देखो अगर आगया तो तुम ले जाना ।” ये सुन  कर  उस लड़के ने जब  आवाज़ लगाई,  “जैकी  …” । उदास जैकी  अपने मालिक की आवाज़ सुन कर उछल पड़ा। बच्चों के कमरे  का दरवाजा बंद था । जैकी  … तड़प उठा ,भोंकने लगा दरवाज़े को पंजों से खरोंचने लगा। दीपू ने  जैसे ही दरवाज़ा खोला। जैकी भागता हुआ, अपने मालिक को लिपट गया और उसको चाटने लगा , उन दोनों की आँखों में आंसू थे । वो लड़का भी जैकी को कभी चूमता, कभी उसके सर पर हाथ  फेर रहा था और जैकी भी मालिक को मिलने की  ख़ुशी में भोंक भी रहा था और कभी कुं कुं करके अपने मालिक को  दूर रहने का दर्द बता रहा था । उनके सच्चे प्यार को देख सभी हैरान थे । दयाल बोला, “जा ले जा अपना जैकी भाई, तुम्हारी तरह  कल से इसने भी कुछ नहीं खाया है, हम ने बहुत कोशिश की इसे खिलाने की, पर इसने मुंहं तक नहीं लगाया तुम दोनों के प्यार को सैल्यूट करता हूं भाई  । उस  लड़के ने  दयाल चंद का और घर वालों का शुक्रिया किया, जैकी के चेहरे पर ख़ुशी भरी  चमक थी । दीपू ने और रवि ने उदास मन से उसको प्यार किया , क्योंकि उसे स्कूल ले जाने का उनका  सपना तो अधूरा ही रह गया था | जैकी ने उनके हाथ को चाट कर और पूंछ हिला कर सब का शुक्रिया अदा किया और अपने मालिक के साथ खुशी-खुशी  चल पड़ा और सभी उन्हें जाते हुए एक टक देखते रहे |

4 thoughts on “सच्चा प्यार

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    मंजीत , कहानी बहुत अच्छी लगी . कुत्ते वफादार तो होते ही हैं लेकिन जो हमारे घर में हुआ था उस को याद करके जब भी कोई कुत्ता देखता हूँ तो उस की याद आ जाती है . इनका पियार सच्चा होता है . मेरे बाबा जी बताया करते थे कि बहुत देर हुई कि खेतों में गेंहूं का बड़ा ढेर लगा हुआ था . रात को सोए हुए थे कि कुछ चोर आ कर गेंहूं उठाने लगे कुत्ते ने जिस का नाम था मोती उस ने उन्हें भगा दिया . कुत्ते बोल नहीं सकते लेकिन समझते सब कुछ होते हैं .

    • मनजीत कौर

      बहुत शुक्रिया भाई साहब जैसा की मेने बताया ये कहानी सच्ची है , आप ने सही कहा कुत्ता एक वफादार जानवर होता है , जितना प्यार अपने मालिक से लेता है उससे कहीं ज्यादा प्यार अपने मालिक को देता है अपने मालिक की, उसके परिवार और घर की रखवाली भी पूरी वफादारी से करता है और अपने मालिक के लिए जान न्योछावर करने को भी हरदम तयार रहता है । कहानी पसंद करने के लिए एक बार फिर से हार्दिक शुक्रिया

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर कहानी. यह सत्य है कि कुत्ते से अधिक वफादार और कोई पशु नहीं होता.

    • मनजीत कौर

      होंसला अफजाई के लिए बहुत शुक्रिया भाई साहब, ये कहानी सच्ची है वो शेरू हमारे ही घर आया था तब मैं बहुत छोटी थी हमने बहुत कोशिशे की उसे खाना खिलाने की पर उसने नहीं खाया अंत में हम समझ गए थे की उसके भूखे रहने का क्या कारण था । इतने हार्दिक कॉमेंट के लिए आप का हार्दिक शुक्रिया |

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