कविता

माँ तुम बहुत याद आती हो

माँ तुम बहुत याद आती हो

वो प्यार से सिर पर हाथ फेरकर सुबह सुबह जगाना

वो स्कूल के लिये तैयार करके जल्दी से नाश्ता कराना

स्कूल से वापस आने तक हमारा इंतज़ार करना

हमारे स्कूल से आते ही आपकी आखों का चमक उठना

स्कूल में देर हो जाने पर आप बहुत डर जाती हो l

माँ तुम बहुत याद आती हो……….

वो हम भाई बहनों का झगड़ना और आपका हमें समझना

पिता जी तो परदेश हैं लेकिन कमी ना महसूस होने देना

खुद भूखे रहकर हम सबको भर पेट खाना देना

अपना पेट काटकर हमारी ख्वाहिशें पूरी करना

सब दुख अपने बिसराकर तुम हम पर प्यार लुटाती हो l

माँ तुम बहुत याद आती हो…………

वो मेरी बीमारी में आपका रात भर जागना

वो सुबह होते ही गोद में लेकर डॉक्टर के पास ले जाना

वो रोते हुए डॉक्टर को मेरा हाल बताना

वो अपना मंगलसूत्र बेचकर मेरा इलाज करवाना

तुम ही सच्ची देवी माँ हो इसीलिये इतना सब कर जाती हो l

माँ तुम बहुत याद आती हो………..

मैं आज जो भी हूँ जैसा भी हूँ उसमें आपका ही हाथ है

कोई मेरा साथ दे या ना दे पर आप हमेशा मेरे साथ हैं

आज भी जब होता हूँ परेशान तो आपकी ही याद आती है

आपसे बात करके ही मेरी सारी परेशानी मिट जाती है

दूर रहकर भी तुम कैसे मेरी सब परेशान जान जाती हो l

माँ तुम बहुत याद आती हो…….

2 thoughts on “माँ तुम बहुत याद आती हो

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता, धर्म सिंह जी.

    • धर्म सिंह राठौर

      धन्यवाद सर

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