गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : मम्मी तुमको क्या मालूम

 

सुबह सुबह अफ़रा तफ़री में फ़ास्ट फ़ूड दे देती माँ तुम
टीचर क्या क्या देती ताने, मम्मी तुमको क्या मालूम

क्या क्या रूप बना कर आती, मम्मी तुम जब लेने आती
लोग कैसे किस्से लगे सुनाने, मम्मी तुमको क्या मालूम

रोज पापा जाते पैसा पाने, मम्मी तुम घर लगी सजाने
पूरी कोशिश से पढ़ते हम, मम्मी तुमको क्या मालूम

घर मंदिर है, मालूम तुमको, पापा को भी मालूम है जब
झगड़े में क्या बच्चे पाएं, मम्मी तुमको क्या मालूम

क्यों इतना प्यार जताती हो, मुझको कमजोर बनाती हो
दूनियाँ बहुत ही जालिम है, मम्मी तुमको क्या मालूम
— मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: madansbrac@gmail.com ,madansbarc@ymail.com

6 thoughts on “ग़ज़ल : मम्मी तुमको क्या मालूम

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी कविता .

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सच में पहले की माँ को कहाँ मालूम होता था ….. सच्ची रचना

    • आपकी सार्थक प्रतिक्रया हेतु शुभकामनाओं सहित आप सभी का हार्दिक साभार ,धन्यबाद ……

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया ग़ज़ल !

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