कविता

कविता क्या है?

तन है कविता मन है कविता,

लय सुर ताल का धन है कविता।

रास है कविता रंग है कविता,

जीने का इक ढंग है कविता।

दिल है कविता धड़कन कविता,

इश्क प्यार का संग है कविता।

लोक है कविता परलोक है कविता,

स्वप्न लोक का जोग है कविता।

सुर है कविता सरगम है कविता,

हर गीतों का संगम है कविता।

शक्ति है कविता सामर्थ्य है कविता,

हर वीरों की शौर्यगाथा है कविता।

भक्ति है कविता भजन है कविता,

भक्तों की भगवान है कविता।

धर्म है कविता कर्म है कविता,

संतों का सत्कर्म है कविता।

राम हैं कविता श्याम हैं कविता,

गुरुओं का सब ज्ञान है कविता।

जनम है कविता मरण है कविता,

जीवन का हर मर्म है कविता,

माँ है कविता पिता हैं कविता,

पुरखों का आशीष है कविता।

 

— दिनेश “कुशभुवनपुरी”

भीलवाडा (राजस्थान)

2 thoughts on “कविता क्या है?

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब ! आपने कविता की सुन्दरता को बहुत अच्छी तरह कहा है.

    • दिनेश पाण्डेय 'कुशभुवनपुरी'

      आपका तहेदिल से अभिनंदन आदरणीय श्री विजय कुमार सिंघल सर की आपने अपनी पत्रिका में स्थान देकर हमें अनुग्रहीत किया एवं मेरी रचना आपको पसंद आई सादर नमन आपको

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