वेदाविर्भाव और वेदाध्ययन की परम्परा पर विचार
सृष्टिकाल के आरम्भ से देश में अनेक ऋषि व महर्षि उत्पन्न हुए हैं। इन सबकी श्रद्धा व पूरी निष्ठा ईश्वरीय
Read Moreसृष्टिकाल के आरम्भ से देश में अनेक ऋषि व महर्षि उत्पन्न हुए हैं। इन सबकी श्रद्धा व पूरी निष्ठा ईश्वरीय
Read Moreएक प्रज्ज्वलित दीप क्या क्या ना करता अंधकार दूर करने के अलावा स्मृति में बसी धुंधली यादों को पीली
Read Moreहमारे यहां बचपन से ही बच्चों को अपने से बड़ों के अभिवादनस्वरूप चरणस्पर्श या हाथ जोड़कर नमस्कार करने के संस्कार
Read More“माता भूमि पुत्रो अहं पृथिव्या” इस वेद की सूक्ति में निहित मातृभूमि की सेवा व रक्षा की भावना से सराबोर
Read Moreमहर्षि दयानन्द द्वारा प्रस्तुत आर्य विचारधारा में वह प्रभाव व शक्ति है जिसका अनुकरण व अनुसरण करने पर एक सामान्य
Read Moreआदमी खुद पर हँसे। खुलकर ठहाके लगाये। अपनी हरकतों (लेखन) पर चुटकी कसे। यह सुनने में भले ही मुस्कुराने का
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