सामाजिक

स्त्री की दुश्मन स्त्री

सच कहें तो स्त्री विमर्श खोखलेपन से गुज़र रहा है। ऐसा खोखलापन जिसे खुद स्त्री ने निर्मित किया है। इस खोखलेपन में वो खुद सहर्ष रहने को तयार है कभी किस्मत, कभी समाज तो कभी पुरुष को दोष देकर। स्त्रियों ने जिस तीव्रता से उच्च शिक्षा ग्रहण की उस तीव्रता से वो खुद को पुरुष के समान मानने की मानसिकता विकसित नहीं कर पाई। स्त्रियों ने काम करने और शिक्षा ग्रहण करने के लिए घर से बाहर अपने पैर निकाले पुरषों के कंधे से कन्धा मिलाकर काम किया, शिक्षा ग्रहण की। कई अवसरों पर वे पुरषो से इक्कीस साबित हुई। पर न जाने क्यों वे अब तक अपने ऊपर पुरषों का वर्चस्व स्वीकार करती रही हैं।

शिक्षा और जॉब करने के दौरान लड़कियों के कई अच्छे पुरुष मित्र (बॉय फ्रेंड नहीं) बन जाते रहे उनमे से कई तो उनके साथ उनके अच्छे बुरे वक्त में अच्छे मित्र की तरह खड़े रहे। जब भी जरुरत पड़ी वे पुरुष, लड़की के अच्छे सहायक साबित हुए। कई अवसरों पे तो पारिवारिक और अन्य सम्बन्धियों से भी अधिक।

न जाने क्यों लड़की भय में जीती है। ऐसा भय जिसे उसे ठोकर मारनी चाहिए। आखिर क्यों वो लड़की अपने उस सर्वाधिक सहायक मित्र को उससे नहीं मिलवा पाती जिससे उसकी शादी होने जा रही है। फिर ये शादी चाहे उसके घर वालो ने फिक्स की हो या खुद उसने। आखिर क्यों वो उस पुरुष का वर्चस्व स्वीकार करती है जिसकी वो पत्नी बनने वाली है। स्त्री का यही समर्पण उसे पुरुष के समक्ष कमज़ोर बनता है और पुरुष उस पर अपना अधिकार समझ लेता है।
स्त्री आखिर क्यों ख़म ठोककर अपने अच्छे मित्र का अपने होने वाले पति से परिचय नहीं करवाती। वह विवाह के पूर्व उस पुरुष को यह नहीं बताती की अच्छे मित्र बनाने के लिए लड़की भी स्वतंत्र है जैसे पुरुष बनाते रहते हैं।

किस बात का भय स्त्रियां अपने मन में पालती हैं
–पति के शक करने का।
–विवाह सम्बन्ध प्रभावित होने का।
–यदि उसका होने वाला पति उसके अच्छे मित्रों के होने पर शक करता है, उसे शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है तो इसका अर्थ है वह सामंतवादी पुरुष है और एक सभ्य शुशिक्षित लड़की से शादी करने के योग्य नहीं। लडकिया जब तक शादी होने वाले पुरुष के समक्ष स्वयं के लड़की होने की वजह से समर्पण करना नहीं छोड़, पुरुष अपने पति होने का अवैध अधिकार इस्तेमाल करता रहेगा। और लड़की उच्च शिक्षित होने के बाउजूद पारवारिक जीवन में पुरुष के मुकाबले दोयम दर्ज़े की रहेगी।

स्त्री को खुद ही विचार करना होगा क्या वह पुरुष उसका पति बनने के लायक है जो स्त्री अच्छे सहायक मित्र होने की वजह से कुंठित हो। स्त्रियों को बेहिचक अपनी आदते और अपने सम्बन्ध उस पुरुष के सामने उजागर करने चाहिए जिससे उसका विवाह होने वाला है। सब जानकर यदि पुरुष उस स्त्री से विवाह करता है सही सही अर्थों में तभी वो पुरुष विवाह करने के योग्य है। स्त्री को खुद का दुश्मन बनना छोड़ना पड़ेगा और पुरुषों के सामने ख़म ठोक कर खड़ा होना पड़ेगा तभी स्त्री और पुरुष बराबर कहलायेंगे और इसके लिए अब बहादुरी दिखने की बारी सिर्फ स्त्री की है।

–सुधीर मौर्य

sudheermaurya1979@rediffmail.com

सुधीर मौर्य

नाम - सुधीर मौर्य जन्म - ०१/११/१९७९, कानपुर माता - श्रीमती शकुंतला मौर्य पिता - स्व. श्री राम सेवक मौर्य पत्नी - श्रीमती शीलू मौर्य शिक्षा ------अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, इतिहास और दर्शन में स्नातक, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा. सम्प्रति------इंजिनियर, और स्वतंत्र लेखन. कृतियाँ------- 1) एक गली कानपुर की (उपन्यास) 2) अमलतास के फूल (उपन्यास) 3) संकटा प्रसाद के किस्से (व्यंग्य उपन्यास) 4) देवलदेवी (ऐतहासिक उपन्यास) 5) मन्नत का तारा (उपन्यास) 6) माई लास्ट अफ़ेयर (उपन्यास) 7) वर्जित (उपन्यास) 8) अरीबा (उपन्यास) 9) स्वीट सिकस्टीन (उपन्यास) 10) पहला शूद्र (पौराणिक उपन्यास) 11) बलि का राज आये (पौराणिक उपन्यास) 12) रावण वध के बाद (पौराणिक उपन्यास) 13) मणिकपाला महासम्मत (आदिकालीन उपन्यास) 14) हम्मीर हठ (ऐतिहासिक उपन्यास ) 15) अधूरे पंख (कहानी संग्रह) 16) कर्ज और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) 17) ऐंजल जिया (कहानी संग्रह) 18) एक बेबाक लडकी (कहानी संग्रह) 19) हो न हो (काव्य संग्रह) 20) पाकिस्तान ट्रबुल्ड माईनरटीज (लेखिका - वींगस, सम्पादन - सुधीर मौर्य) पत्र-पत्रिकायों में प्रकाशन - खुबसूरत अंदाज़, अभिनव प्रयास, सोच विचार, युग्वंशिका, कादम्बनी, बुद्ध्भूमि, अविराम,लोकसत्य, गांडीव, उत्कर्ष मेल, अविराम, जनहित इंडिया, शिवम्, अखिल विश्व पत्रिका, रुबरु दुनिया, विश्वगाथा, सत्य दर्शन, डिफेंडर, झेलम एक्सप्रेस, जय विजय, परिंदे, मृग मरीचिका, प्राची, मुक्ता, शोध दिशा, गृहशोभा आदि में. पुरस्कार - कहानी 'एक बेबाक लड़की की कहानी' के लिए प्रतिलिपि २०१६ कथा उत्सव सम्मान। संपर्क----------------ग्राम और पोस्ट-गंज जलालाबाद, जनपद-उन्नाव, पिन-२०९८६९, उत्तर प्रदेश ईमेल ---------------sudheermaurya1979@rediffmail.com blog --------------http://sudheer-maurya.blogspot.com 09619483963

One thought on “स्त्री की दुश्मन स्त्री

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख.

Comments are closed.