इतिहास

दिल्ली का शिव मंदिर सत्याग्रह

आज एक अपने आपको सनातनी कहने वाले अज्ञानी व्यक्ति सुरेंदर सिंह ने स्वामी दयानंद की तुलना मुहम्मद गजनवी से यह कहकर करी की दोनों ने शिवलिंग तोड़े थे।

सबसे पहले तो स्वामी दयानंद ने हिन्दू समाज में फैली अन्धविश्वास रूपी गली सड़ी मानसिकता को छोड़ने का आवाहन किया था। दूसरे स्वामी जी ने मनुष्य की बनाई नकली मूर्तियों के स्थान पर ईश्वर की बनाई असली मूर्तियां यानि मानव जाति की सेवा करने का सन्देश दिया था।
हमारे पौराणिक भाइयों की मंद बुद्धि में इतिहास से एक ऐसी घटना को यहाँ पर दे रहा हूँ जिसमें आर्यों ने दिल्ली के शिव मंदिर की रक्षा हिन्दू समाज के प्रहरी के रूप में कि थी जबकि मूर्ति पूजा में उनका तनिक भी विश्वास नहीं था।

इस सत्याग्रह को “दिल्ली का शिव मंदिर सत्याग्रह” के नाम से जाना जाता हैं।

चाँदनी चौक दिल्ली में घंटाघर के पास एक छोटा सा शिव मंदिर था। कुछ शरारती मुसलमानों ने पुलिस एवं गोरी सरकार की मदद से उस मंदिर के शिव लिंग को चुरा लिया, मंदिर के पुजारी को डरा कर भगा दिया एवं मंदिर को अपवित्र कर दिया। दिल्ली के स्वयंभू पौराणिक नेताओं ने इस घटना का किसी भी प्रकार का प्रतिरोध नहीं किया। यह बात अगले दिन आर्य नेता लाला रामगोपाल शालवाले एवं लाला चतुरसेन तक पहुंची। दोनों ने इसे महत्वपूर्ण समझते हुए सत्याग्रह करने की घोषणा कर दी। पंडित व्यासदेव जी ने साथ दिया। इस सत्याग्रह की खबर अगले दिन पूरे देश में फैल गई एवं सम्पूर्ण देश में सरकार एवं शरारती तत्वों के विरुद्ध जबरदस्त रोष उत्पन्न हो गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने हस्तक्षेप करने का मन बनाया। मंदिर में पुन: मूर्ति की स्थापना हुई एवं भगवा ओम ध्वज लहराया गया। आर्यसमाजी नेताओं विशेष रूप से लाला रामगोपाल एवं लाला चतुरसेन ने मूर्तिपूजा में विश्वास न होते हुए भी हिन्दू जागरण की भावना एवं हिंदुत्व की रक्षा के उद्देश्य से इस अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष किया और विजय श्री प्राप्त करी।

आज के सनातनी स्वामी दयानंद एवं आर्यसमाज द्वारा हिन्दू समाज के लिए किये गए महान कार्यों को भुलाकर कुछ मूर्खों की सिखाई में आकर व्यर्थ बयानबाजी करता हैं। ईश्वर उन्हें बुद्धि दे।

(लाला चतुरसेन श्री मूलचंद गुप्ता जी के पिताजी एवं महान आर्य थे।)

डॉ विवेक आर्य