धर्मान्तरण से उठे प्रश्न
आगरा में कुछ मुसलमानों के हिन्दू बनने से धर्मान्तरण के बारे में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं. हिन्दू संगठन इसको घर वापसी बताते हैं, जो गलत भी नहीं है, क्योंकि इन सबके पूर्वज पहले हिन्दू ही थे. लेकिन जिन सेकुलर (शर्म-निरपेक्ष) दलों की राजनीति ही मुसलमानों के वोटों पर चलती है, उनको मिर्च लगना स्वाभाविक है. उनके द्वारा इस तरह धर्म बदलने का विरोध करना भी समझ में आता है.
लेकिन बिडम्बना यह है कि ये दल तब अपने मुंह सुई-धागे से सिल लेते हैं या फेविकोल से चिपका लेते हैं जब निरीह हिन्दुओं को ईसाई या मुसलमान बनाया जाता है. तब इनको धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में दिखाई नहीं देती.
संसद में ये शर्म-निरपेक्ष दल बहस करने के लिए हंगामा कर रहे थे, परन्तु जब सरकार बहस करने को मान गयी और बहस चालू हुई, तो इनके असली चेहरे नंगे हो गए. मुलायम सिंह जैसे नेता इस बहस को ही अनावश्यक बताने लगे, जबकि स्वयं उनकी पार्टी हंगामा करने में सबसे आगे थी.
वास्तव में इस मामले ने असली मोड़ तब लिया जब सरकार ने धर्मान्तरण पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने की बात कही. यह सुनते ही सेकुलर संप्रदाय के पैरों तले की जमीन खिसकने लगी, क्योंकि ऐसा होने पर सबसे अधिक फायदा हिन्दुओं को ही होगा, क्योंकि उनका ही सबसे अधिक धर्मान्तरण किया जाता है. विदेशी ईसाई मिशनरियों का तो सारा धंधा ही धर्मान्तरण के बल पर चलता है.
याद कीजिये कि १९७७ में जब जनता पार्टी की सरकार ने धर्मान्तरण पर रोक लगाने के लिए कानून बनाना चाहा था तो ईसाई नन टेरेसा (उसको ‘मदर’ कहना गलत है) के साथ साथ सेकुलर संप्रदाय के लोग ही हायतोबा मचाने में सबसे आगे थे. अंततः यह कानून नहीं बनने दिया गया. ऐसा ही इस बार हो सकता है, अगर मोदी जी की सरकार ने दृढ़ता नहीं दिखाई.
अगर धर्म बदलने पर पूरी रोक तरह लगा दी जाती है, तो मुसलमानों की पोल भी खुल जाएगी. वे अभी तक यह दावा करते रहे हैं कि इस्लाम सबसे अधिक तेजी से बढ़ने वाला ‘धर्म’ है. इसका कारण वे बताते हैं कि लोग स्वेच्छा से इस्लाम ग्रहण कर रहे हैं. अगर धर्मान्तरण पर रोक लग गयी तो यह सत्य सबके सामने नंगा हो जायेगा कि इस्लाम के मानने वालों की संख्या बढ़ने का एक मात्र कारण अधिक बच्चे पैदा करना है, स्वेच्छा से मुसलमान बनना नहीं. इसलिए वे भी इस कानून का विरोध करेंगे.
लेकिन विरोध की चिंता किये बिना सरकार को धर्मान्तरण रोकने का कठोर कानून बना देना चाहिए.
विजय कुमार सिंघल
समझ नही अत की इन सेक्युलर नेताओं की बयानबाजियों पर हसें या रोएँ . पहली बात, आज़ादी के बाद पाकिस्तान की hindu आबादी निरन्तर घाटी है.. क्यों??? क्युकी वहां ज्यादातर हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन किआ गया ह लेकिन बन्दूक की नोक पे.
यह घटना किसी को नही रुलाती.
दूसरी बात, इंडिया सेक्युलर देश नही था. यह तो १९७६ में ४२ वें संविधान संशोधन में बनाया गया था. आखिर क्या जरुरत थी. क्या सेक्युलर डिक्लेअर करने से पहले यहां मुसलमान जी नही रहे थे. धिक्कार है इन् नेताओं को. वोट बैंक के लिए देश का बेडा गर्क कर दिआ.
अब बात करते हैं धर्म परिवर्तन की.
आज तक कितने हिन्दू christians बने.कितनो को ज़बरदस्ती बन्दूक की नोक पे मुस्लमान बनाया गया. तब क्यों नही रोये यह नेता. अब अगर कोई मर्ज़ी से हिन्दू बन रहा है तो इतनी मिर्ची क्यों लग रही ह इन सेक्युलर नेताओं को.
इन नेताओं को एक बात कहना चाहता हु की चले जाओ देश छोरकर अगर धर्म परिवर्तन देखा नही जाता और चाटो तलवे पाकिस्तानी चमचों के.
अरे क्यों भूल जाते हैं लोग की इंडिया की संस्कृति क्या यह थी?? कहाँ ह हमारी हिन्दू संस्कृति. हिन्दू मुस्लमान बने तो यह धर्मनिरपेक्षता ह और अगर भटके hue हिन्दू वापिस अपने धर्म में आना चाहते हैं तो गलत क्या ह.
कुछ गलत नही ह इसमें. सभी धर्म सामान हैं और हम उसकी कदर करते हैं लेकिन इसका आशय यह नही की कोई भी ऐरा गैर हमारी संस्कृति को नष्ट कर देगा. हैरानी यह की इस प्रक्रिया में यह दोगले नेता लिप्त हैं वो भी चाँद वोटों के लिए
बहुत दफा ऐसे ऐसे मुद्दे भारत में सुनने को मिलते हैं कि समझ नहीं आती उन पर हंसें या रोएँ . सब से पहले तो जबरदस्ती कोई अपना धर्म तब्दील करने को राजी नहीं होता . अगर मुझे कोई कहे कि मैं सिख धर्म छोड़ कर मुसलमान बन जाऊं तो मैं कैसे सवीकार कर लूँगा , हाँ अगर मेरा अपना मन चाहे तो मुझे कौन रोक सकता है ? अब यह अगर कुछ मुसलमान हिन्दू धर्म में आना चाहते हैं तो इतना शोर शराबा कियों ? जब कि इन के बजुर्ग हिन्दू ही थे . मदर ट्रीसा ने जो किया वोह अकेली ने नहीं किया , उस के पीछे बहुत बड़ी सोच है . इस में मैं कुछ और भी कहना चाहूँगा कि यह काम हिन्दुओं को करना चाहिए था जो इसाई गटरों से उठा कर बच्चों को पालते हैं , उनको एजुकेशन देते हैं और इसाई बना लेते हैं . अब मुसलमान भाईओं की सोच देखिये , अगर इन का लड़का हिन्दू लड़की से शादी करे तो बहुत अच्छा है लेकिन कोई मुसलमान लडकी हिन्दू लड़के के साथ शादी करना चाहे तो लड़के को इस्लाम कबूल करने को जोर देंगे अगर लड़का नाह करे तो उस को धमकी तक दी जाती है . आम बात यह भी मैं अक्सर सुनता रहा हूँ कि भारत के मुसलमान बहुत गरीब हैं , उनके लिए किसी ने कुछ नहीं किया . मैं कहता हूँ कि मुझे याद है पंजाब में आबादी को कंटत्रोल करने के लिए संजय गांधी के वक्त बहुत जोरो शोरों से काम चल रहा था , जगह जगह पोस्टर लगे हुए थे , एक के बाद अभी नहीं , दो के बाद कभी नहीं . और हुआ भी ऐसा ही , लोग बच्चे कम पैदा करने लगे जिस का रीज़ल्ट यह हुआ कि पंजाब में लोग सुखी और खुशहाल हैं . मुसलमान गरीबी का तो शोर मचाते हैं लेकिन , घर खाने को नहीं और दस दस बच्चे होने चाहिए , बस रोटी मिले ना मिले इस्लाम की उन्ती होनी चाहिए . अगर मुसलमान भी अपनी आबादी को कंट्रोल में रखें तो उन का भी लिविंग स्टैण्डर्ड अच्छा हो सकता है . जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कोई नहीं कर सकता भारत जैसे देश में , यह सिर्फ पाकिस्तान में ही हो सकता है . एक बात मुझे और भी कहनी है , बहुत मुसलमान हिन्दू बनना चाहते भी होंगे लेकिन डर के मारे ऐसा कर नहीं रहे . बहुत मुसलमानों को यह समझ भी है कि उन के पुरखों को जबरदस्ती मुसलमान बनाया गिया था और यह घर वापसी ही है लेकिन इन में एक बात और भी है कि अगर घर वापिस आये महमान को वैलकम करना है तो उन्हें मंदिरों में जाने की भी इजाजत चाहिए और उनको अपने तिओहारों में शामिल होने देना चाहिए वर्ना घर आया महमान वापिस भी जा सकता है .
सही कहा भाई साहब आपने. मुसलमानों में धर्म छोड़ने की सजा मौत है. इसी डर से मुसलमान हिन्दू नहीं बनना चाहते. अगर यह डर न हो तो करोड़ों भारतीय मुसलमान अपने पुरखों के धर्म में वापिस आने को तैयार हो जायेंगे.