कविता

फैली है चांदनी

 

तुम्हारी ख़ामोशी की
फैली हैं चांदनी
उससे आलोकित हैं मेरे मन का गगन
नि:शब्द हैं
नि:स्वर हैं
यह मनोरम वातावरण
कभी तुम
उस घने वृक्ष की तरह दिखाई देती हो
जिसके पत्तों पत्तों पर
मैंने तुम्हारे नाम का किया हैं लेखन
कभी तुम लौटती हुई उस
पगडंडी सी आती हो नज़र
जिसके ह्रदय में
शामिल हैं मेरी भी धड़कन
धरती और आकाश के बीच
मैं तन्हा सा …
कभी तुम्हारे विरह की आग में जलता हूँ
कभी तुम्हारे स्मरण के सावन में भींगता हूँ
और
कभी मिलन की आश की बहार का
अभी से आकर छू लेता हैं
मुझे सुरभित पवन
कोरे ही रहने दो अब पन्नों कों
अब हमें भी विश्राम करने दो
कहते हैं ….स्याही और कलम
जब तक न हो
तुम्हारा पुन: आगमन…..
तुम्हारा इंतज़ार करेंगे
बेसब्री से ….मेरे नयन

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “फैली है चांदनी

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी है .

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

Comments are closed.