बाल कविता

बालगीत – ‘अगर पंख अपने होते तो’

अगर पंख अपने होते तो,
नभ मे ऊँचे तक उड़ जाते
वायुयान से उड़कर जाने,
के सारे झंझट बच जाते|
पासपोर्ट न वीजा लेते,
सारी दुनिया घूम के आते ,
पूरी धरती अपनी होती ,
जहां चाहते नीड़ बनाते |
खाने की चिन्ता न होती ,
रेस्टोरेन्ट पेड़ बन जाते ,
बिना मोल के ताजे – ताजे ,
सुन्दर मीठे फल मिल जाते |
एकदम अलग अनोखे लगते ,
तितली जैसे पंख सजाते ,
परियों के जैसे हम दिखते ,
मनुष्य लोक की कथा सुनाते |

अरविन्द कुमार साहू

सह-संपादक, जय विजय

5 thoughts on “बालगीत – ‘अगर पंख अपने होते तो’

  • जवाहर लाल सिंह

    बहुत अच्छी बाल कविता

  • गुंजन अग्रवाल

    sundar kavita

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कविता.

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा बाल गीत !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी लगी यह कविता .

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