कविता

एक नन्ही चिड़िया

 

फूल बन

मेरे आँगन में

तुम्हारा सुंदर रूप ही तो हैं खिला

उड़ आयी हो

स्नेह के पंख पसार

बनकर एक नन्ही चिड़िया
एकाएक बादलों सा उतर

बरस पड़ी हो तुम बन बरखा

तुम्हारे प्यार से मेरा तन हैं भींगा
दिन भर धूप सी तुम बिखरी रहती हो

और मै तुम्हारी यादों के उजालों से रहता हूँ घिरा
सांझ होते ही …

मेरे ह्रदय के मन्दिर में

सिमट कर ..जल उठती हो

बनकर मेरी आराधना का एक दीया

तुम ही हो कपूर के धुँए की गंध

तुम ही हो मेरी कल्पनाओं के पंख

तुम्हारी याद

मेरी नसों में भर जाते हैं उमंग
तुम ही हो तम के सागर में

मेरी उम्मीदों का ज्योति स्तंभ

जिसके सहारे खे रहा

मै अपनी जीवन नौका

मेरी यात्रा में

पतवार सा बस प्रिये ..

तुम्हारा ही हैं संग

तुम ही हो मेरे सपनो के सारे रंग
किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “एक नन्ही चिड़िया

  • जवाहर लाल सिंह

    मै अपनी जीवन नौका

    मेरी यात्रा में

    पतवार सा बस प्रिये ..

    तुम्हारा ही हैं संग

    तुम ही हो मेरे सपनो के सारे रंग… अनूठी कविता

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

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